रीवा। महिला अपराधों से जुड़ी पेंडेंसी प्रदेश में रीवा की छवि धूमिल कर रही है. लंबे समय से महिलाओं से जुड़े अपराधों के मामले में पेंडिंग केस पुलिस प्रशासन की छवि खराब कर रहे हैं. आरोप पत्र न्यायालय तक न पहुंचने से पीड़ित महिलाओं को भी न्याय नहीं मिल सका है. महिला अपराध के बढ़ते ग्राफ पर एसपी आबिद खान का कहना है कि पिछले 3 सालों से महिला अपराध में बढ़ोतरी हुई है.
महिला अपराध के मामले में पड़ोसी जिलों से अव्वल है रीवा, पुलिस की छवि पर लग रहा है 'दाग'
महिला अपराधों से जुड़ी पेंडेंसी प्रदेश में रीवा की छवि धूमिल कर रही है. लंबे समय से महिलाओं से जुड़े अपराधों के मामले में यह रुके हुए प्रकरण अपने आप में प्रशासन के खिलाफ बड़े सवाल खड़े कर रहे हैं.
महिलाओं से जुड़े अपराध केस पेंडेंसी में रीवा जिला अपने पड़ोसी जिलों से काफी आगे है. पिछले कई सालों से रीवा अपराध का गढ़ माना जाता रहा है. रीवा में महिला अपराध से जुड़े के की फाइलें भी मोटी होती जा रही हैं. पुलिस की तरफ से कोई बड़ी कार्रवाई होती नहीं दिख रही है. एसपी आबिद का कहना है कि पिछले 3 सालों से महिला अपराध से जुड़े हुए प्रकरण में बढ़ोतरी हुई है.
साल 2017 में महिला अपराध पर 752 तो वहीं 2018 में कुल 680 मामले महिला अपराध के थे. 2019 में महज 6 महीनों में ये आंकड़े 200 के पार हो चुके हैं. महिला अपराध में अब तक आधे मामले भी पुलिस निपटाने में सफल नहीं हो पाई है, जबकि प्रशासन अपराध को रोकने के लिए खास रणनीति अपनाने की बात बात कह रहा है. एसपी ने कहा कि अपराधों को रोकने के लिए सबसे पहले महिलाओं का जागरूक होना जरूरी है. बढ़ते ग्राफ को देखने के बाद पुलिस स्कूल-कोचिंग सेंटर में जाकर जागरुकता अभियान चला रही है.