रीवा। जिले के जनेह थाना क्षेत्र में रहने वाले 2 परिवारों के बीच इन दिनों एक buffalo को लेकर विवाद चल रहा है. जिसके तहत एक पक्ष लल्लू आदिवासी नाम के शख्स ने थाना क्षेत्र के पुटौधा गांव के ही रहने वाले दल बहादुर सिंह के नाम जबरन अपनी भैंस को बंधने की थाने में शिकायत दर्ज करायी थी. इसके बाद पुलिस के द्वारा विवाद को शांत कराने के लिए भैंस को थाने में लाकर लॉकअप के बाहर बांध लिया गया. तकरीबन 4 दिनों तक भैंस थाने में ही रही. मगर जब विवाद शांत नहीं हुआ तो पुलिस ने साक्ष्यों के आधार पर दल बहादुर सिंह को भैंस वापस कर दी. फिलहाल मामले पर शिकायतकर्ता अब भी भैंस पर अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहा है. (buffalo got punishment)
Rewa controversy दो मालिकों की दावेदारी में बेचारी भैंस को मिली सजा, चार दिन तक पुलिस लॉकअप के बाहर बंधी रही
एक भैंस के दो दावेदार होने से मामले ने तूल पकड़ा और थाने तक पहुंच गया. इस चक्कर में बेचारी भैंस चार दिन तक पुलिस लॉकअप के बाहर बंधी रही. (police tied outside lockup for four days) अंत में थक-हारकर पुलिस ने कुछ फोटो दिखाने पर भैंस को एक पक्ष के हवाले कर दिया. इसके बाद भी दूसरा पक्ष अड़ा हुआ है कि वह भैंस उसकी है. इसे वापस उसे दिलाया जाए. इस विवाद का पटाक्षेप अभी तक नहीं हो पाया है.
न्याय पाने को थाने के बाहर 4 दिनों तक बंधी रही भैंसः दरअसल जिले के जनेह थाना क्षेत्र के सोहराब गांव के रहने वाले लल्लू आदिवासी की भैंस एक साल पहले अचानक गायब हो गई. जिसपर लल्लू आदिवासी के द्वारा लंबे समय तक buffalo की खोज की गई, मगर उसकी भैंस वापस नहीं मिल सकी. फिर साल भर बाद उसके किसी पहचान वाले ने उसी तरह की दिखाई देने वाली भैंस को पुटौधा गांव के रहने वाले दल बहादुर सिंह के घर में होने की जानकारी दी. जिसपर लल्लू आदिवासी ने अपनी भैंस को वापस पाने के लिए थाने में शिकायत दर्ज करायी. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस की टीम ने भैंस को दल बहादुर सिंह के घर से एक लोडर वाहन में रखकर थाने ले आई थी.
भैंस के विवाद में पुलिस की माथापच्चीः पूरे मामले को लेकर जब ईटीवी भारत ने जब एसडीओपी समरजीत सिंह से संपर्क करना चाहा तो उन्होंने फोन उठाना उचित नहीं समझा. इसके बाद जनेह थाना प्रभारी अनुराग अवस्थी से बात की गई तो उन्होंने मामले में जानकारी न होने की बात कही और थाने में पदस्थ ASI कल्याणचंद्र पाण्डेय से संपर्क करने की बात कही. जब कल्याणचंद्र पाण्डेय ने बताया की भैंस को लेकर दो पक्षों का विवाद था. जिसमें दल बहादुर सिंह के द्वारा भैंस की पुरानी और नई फोटोग्राफ्स पुलिस को दिखाई गईं. इसके बाद पुलिस ने भैंस को उनके सुपुर्द कर दिया. दूसरे दावेदार लल्लू आदिवासी की भैंस एक साल पहले गुम हो गई थी. लल्लू आदिवासी के द्वारा भैंस के गुम होने की शिकायत थाने में नहीं की गई थी. लगभग 7 महीने बाद वह भैंस मिली थी. जब दल बहादुर की भैस गुम हुई तो उन्होंने भैंस को अपने पास बांध लिया.