रीवा।बंगला पान की खेती के लिए जाने- जानेवाला रीवा जिले के महसांव गांव के किसान आज रोजी- रोटी के संकट से जूझ रहे हैं. कभी यहां से बंगला पान की सप्लाई देश- विदेश में की जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से ये पहचान खोता जा रहा है. महसांव क्षेत्र के ज्यातार परिवार पान की खेती करते थे, बंगला पान की खेती चौरसिया समाज के किसानों का पुस्तैनी धंधा हुआ करता था, जो उन्हें विरासत में मिली थी, लेकिन अब वहीं किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. उनके सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया है.
बंगला पान की सप्लाई हुई कम, किसानों के सामने रोजगार का संकट दूर-दूर तक मशहूर है यहां का बंगला पान
जिले में पान उत्पादन के क्षेत्र में मशहूर महसांव गांव के लोग पान की खेती पर ही निर्भर है, यहां का बंगला पान विश्व प्रसिद्ध हुआ करता था. देश- विदेश में बड़ी मात्रा में इसकी सप्लाई हुआ करती थी, लेकिन पिछले कई सालों से यहां के पान का कारोबार सिमट कर रह गया है. इसमें लगातार हो रहे घाटे के चलते पान की खेती करने वाले किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
प्राकृतिक आपदाओं की
बदलते दौर में पान की जगह गुटखा और पान मसालों ने ले ली है. जिसके चलते पान की खेती करने वाले किसान इससे किनारा करने लगे हैं. किसानों की माने तो उनके पास अब कोई दूसरा रोजगार नहीं है, जिससे किसी तरह से मेहनत मजदूरी का काम कर अपना परिवार चला रहे हैं. कुछ किसान पान की खेती को बचाए रखने के लिए लगातार घाटा होने के बावजूद इसकी खेती कर रहे हैं, लेकिन उनकी पान की खेती प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहा है. पान की खेती ठंड में ओले और पाला के चलते बर्बाद हो गई है और पान खराब हो गए हैं.
किसानों ने कहा- प्रशासन दे रहा ध्यान
किसान राजेंद्र प्रसाद चौरसिया ने बताया कि, पहले पान की खेती से काफी फायदा होता था, लेकिन अब हालत ये है कि इससे बच्चों की पढ़ाई- लिखाई तो दूर किसी तरह से उनका घर चल जाए यही काफी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार बदली, तो पान की खेती करने वाले किसानों की उम्मीदें भी बढ़ी, लेकिन उनकी बदहाली पर मौजूदा सरकार ने भी ध्यान नहीं दिया.
पान एक ऐसी चीज है जो भगवान के पूजा सामग्री में भी काम आता है. साथ ही शादी- बारात में इसे खिलाना एक व्यवहार माना जाता है, लेकिन अब वक्त का तकाजा है कि, शादी- बारात में भी पान का उपयोग बहुत कम हो गया है. अगर पान की खेती का यही हाल रहा, तो यहां का बंगला पान जो कभी देश विदेश में यहां की पहचान हुआ करता था, वो खुद अपनी पहचान का मोहताज हो जाएगा.