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MP Seat Scan Teonthar: इस सीट में कांग्रेस-बीजेपी दोनों की चौकड़ी, BJP पांचवी बार खिला पाएगी कमल, या पंजा छोड़ेगा अपनी छाप

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 5, 2023, 8:26 PM IST

Updated : Nov 15, 2023, 10:20 AM IST

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे रीवा जिले के त्योंथर विधानसभा सीट के बारे में. इस सीट पर पहले जहां कांग्रेस का कब्जा हुआ करता था, वहीं अब इस सीट पर बीजेपी का राज है और कांग्रेस अपनी पुरानी जीत को वापस पाने की कोशिश में जुटी है.

MP Seat Scan Teonthar
एमपी सीट स्कैन त्योंथर

रीवा। मध्य प्रदेश में जल्द ही 230 सीटों में विधानसभा चुनाव होंगे. ऐसे में "ETV BHARAT" आप सभी को प्रदेश की तमाम सीटों के बारे में बड़ी ही बारीकी से जानकारी उपलब्ध करा रहा है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं रीवा जिले की त्योंथर विधानसभा सीट के बारे में. इस सीट में भी कभी पंजे का छाप हुआ करती थी, लेकिन लगातार चार बार हैट्रिक मारने के बाद यहां से कांग्रेस का अस्तित्व ही गर्त में चल गया. 1998 में यहां पर बीजेपी ने पहली बार अपना कमल खिलाया और 2003 में भी अपनी साख को बचाए रखा. लेकिन 2008 के चुनाव में BSP के हाथी ने इंट्री मारी और सारा खेल बिगड़ गया. 2013 के चुनाव में बीजेपी की वापसी हुई और 2018 में एक बार फिर से यहां बीजेपी का कमल खिल गया.

त्योंथर में दिलचस्प है मुकाबला: रीवी जिले के त्योंथर सीट से 13 प्रत्याशी मैदान में हैं. भाजपा ने सिद्धार्थ तिवारी 'राज' को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने रामा शंकर सिंह पर दांव खेला है. बसपा से देवेंद्र सिंह चुनावी मैदान में हैं.

वर्तमान में बीजेपी के श्यामलाल द्विवेदी है क्षेत्रीय विधायक: वर्तमान में त्योंथर विधानसभा क्षेत्र से श्यामलाल द्विवेदी यहां के बीजेपी विधायक हैं. इनके द्वारा भी क्षेत्र में कुछ खास विकास कार्य तो नहीं कराए गए. जिसके चलते क्षेत्र के जनता का मूड कुछ बदला बदला सा दिखाई दे रहा है. अब यह तो वक्त ही बताएगा की यहां की जनता का रुख किस पार्टी की ओर है. इस सीट में कांग्रेस और भाजपा का ही पलड़ा भारी रहा है. ऐसे में कयास यही लगाए जा सकते हैं की इस बार कहीं फिर से तीसरे दल का नेता न बाजी मार जाए, जैसा 2008 में हुआ था. ऐसा कहा जा रहा है की बीजेपी अगर श्यामलाल द्विवेदी के बदले किसी और कैंडीडेट को मैदान पर उतारती है तो इस सीट से बीजेपी की जीत पक्की है.

त्योंथर विधानसभा सीट की खासियत:त्योंथर विधानसभा क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता है. रीवा जिले से त्योंथर की दूरी लगभग 90 किलोमीटर है. जबकि प्रयागराज से 60 किलोमीटर दूर है. यहां पर स्थित चाकघाट बॉर्डर UP और MP को आपस में जोड़ता है. पर्यटन के क्षेत्र में यहां पर कोलगढ़ी, सोहागी घाटी, इसी घाट के ऊपर पहाड़ में प्रसिद्ध अडगढ़ नाथ भगवन शिव की मंदिर, सोनौरी गांव में मंडपेश्वर नाथ शिव जी का प्रसिद्ध मंदिर, मझिगंवा में स्कंद माता का मंदिर, यहां पर स्थित एक मनमोहक झरना है. जिसके करीब जाने पर उसका आकार बढ़ता जाता है. त्योंथर बजार में भुलानिया माता का मंदिर है. जहां पहुंचते ही लोग कुछ देर के लिऐ अपनी सुध खो बैठते हैं. कटरा घूमा में बौद्ध स्तूप, सोहागी घाट में हीरे की खोज है.

त्योंथर सीट की खासियत

त्योंथर का इतिहास:त्योंथर में कभी कोल वंश के राजाओं का शासन था. यह इलाका बघेल राजाओं के पूर्व आदिवासी राजाओं द्वारा शासित हुआ करता था. यह क्षेत्र टमस नदी और खरारी नदी के संगम के समीप बसा हुआ है. त्योंथर बौद्ध स्तूपों के लिए भी जाना जाता है. इन बौद्ध स्तूपों का श्रेय मौर्य सम्राट अशोक को दिया जाता है. महाभारत काल के भूरिश्रवा के विजयंत से लेकर आदिवासी राजा और बेनवंशी राजाओं की कहानी कोलगढ़ी से जुड़ी हुई है. बहुत कम लोगों को यह पता है कि भुर्तिया राजाओं ने भी इसी कोलगढ़ी से शासन किया था. हाल ही में सीएम शिवराज ने कोलगढी किले के जीर्णोद्धार का भूमिपूजन किया था.

त्योंथर सीट के मतदाता

1977 से 2018 तक इस का चुनावी सफर: इस सीट में वर्ष 1977 से लेकर 1990 तक कांग्रेस का वर्चस्व कायम था और लगातार चार बार जीत हासिल कर कांग्रेस ने क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए रखा. इसके बाद 1993 में जनता दल ने इस क्षेत्र से अपनी जीत दर्ज कराई. इसके बाद 1998 में भाजपा ने अपना खाता खोला और लगातर दूसरी बार जीत हासिल करते हुए 2003 में भी इस सीट से अपनी जीत दर्ज कराई. मगर 2008 के चुनाव में BSP ने भाजपा का खेल बिगड़ दिया और BSP कैंडिडेट यहां से विधायक चुने गए. इसके बाद 2013 में बीजेपी ने ब्राह्मण कैंडिडेट को चुनावी मैदान पर उतार कर एक बार फिर त्योंथर में कमल खिला दिया. इसके बाद 2018 के चुनाव में भी ब्राह्मण कैंडिडेट को चुनाव लड़ाकर बीजेपी ने सही दांव लगाया और अपनी जीत दर्ज कराई.

1977-80 दो बार कांग्रेस से श्रीनिवास तिवारी रहे त्योंथर विधायक: वर्ष 1977 में त्योंथर विधानसभा सीट से पंडित श्रीनिवास तिवारी कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़े और विजयी हो गए. वहीं वर्ष 1980 में कांग्रेस ने श्रीनिवास तिवारी पर भरोसा कायम रखा और दोबारा टिकट देकर चुनावी मैदान पर उतार दिया. इस चुनाव में श्रीनिवास तिवारी ने फिर बाजी मारी और विधायक एक बार फिर से यहां के विधायक बन गए. 1985 में कांग्रेस ने गरुण कुमार को टिकट दिया और तीसरी बार फिर इस सीट से कांग्रेस की जीत हुई. 1990 में कांग्रेस ने दोबारा अपना कैंडीडेट बदला. इस बार रमाकांत तिवारी को टिकट मिली उन्होने ने भी त्योंथर से जीत का परचम लहराया कांग्रेस ने लगातार इस सीट से चार बार जीत हसिल की इसके बाद इस सीट से कांग्रेस का अस्तित्व ही खो गया.

1993 में जनता दल के रामलखन सिंह बने विधायक: 1993 में जानता दल पार्टी के उम्मीदवार रामलखन सिंह ने पूरा समीकरण बिगाड़ते हुए अपनी जीत दर्ज कराई और इस सीट से विधायक चुने गए. 1998 में रामाकांत तिवारी बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़े और जीत हासिल कर विधायक बने और पहली बार त्योंथर सीट में बीजेपी का खाता खुला. इसके बाद 2003 भाजपा ने एक बार फिर रामकांत तिवारी को टिकट देकर चुनावी मैदान पर उतारा. दूसरी बार यहां के विधायक चुने गए. 2008 में यहां बीजेपी को निराशा हाथ लगी, क्योंकि बीएसपी उम्मीदवार रामगरीब कोल ने जीत हासिल कर इस सीट से विधायक बन गए.

त्योंथर सीट का रिपोर्ट कार्ड

इस सीट में कांग्रेस और बीजेपी की चौकड़ी: 2013 में बीजेपी ने फिर एक बार पुराने कैंडीडेट रमाकांत तिवारी पर भरोसा जताया और तीसरी बार यहां पर भाजपा की जीत हुई. रमाकांत तिवारी एक बार फिर क्षेत्र के विधायक बन गए. 2018 में अपनी साख बनाए रखने के लिऐ बीजेपी ने अपना दाव पेंच चला और नए कैंडीडेट को चुनावी समर में उतार दिया. चुनाव हुए नतीजा एक बार बीजेपी के पक्ष में आया. इस तरह से कांग्रेस और बीजेपी ने इस सीट में चार-चार बार अपनी जीत दर्ज कराई. अब 2023 के चुनाव में देखना होगा की इस सीट में वापस कब्जा करने के लिऐ कांग्रेस क्या गुणाभाग लगती है. या फिर कहीं इस बार कोई अन्य पार्टी का नेता न बाजी मार जाए.

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

साल 2018 का रिजल्ट

बीजेपी, कांग्रेस और BSP के बीच कांटे की टक्कर: 2018 में हुए चुनावों की अगर बात के जाए तो त्योंथर सीट से मुकाबला त्रिकोणीय हुआ. बीजेपी, कांग्रेस और BSP के बीच ही यहां पर कांटे की टक्कर देखने को मिली. लेकिन ताजपोशी बीजेपी के उम्मीदवार की ही हुई. बीजेपी कैंडिडेट श्यामलाल द्विवेदी को 52,729 वोट मिले तो कांग्रेस प्रत्यासी रमाशंकर सिंह के खाते में 47,386 वोट आए. जबकि बसपा कैंडिडेट गीता राजमणि माझी को 17,396 वोट मिले थे. बीजेपी के श्यामलाल द्विवेदी ने कांग्रेस के रमाशंकर सिंह पटेल को 5343 वोटों से हराकर चुनाव अपने पक्ष में कर लिया और विधायक बन गए.

सड़क बिजली पानी और पुल के लिऐ मौजूदा MLA का बेहतर कार्य: अब 2023 के चुनाव होने वाले हैं. इस बार यहां की जनता क्षेत्र के विकास और महंगाई को अपना अहम मुद्दा बनाया है. BJP MLA श्यामलाल द्विवेदी के 5 साल का कार्यकाल बीतने जा रहा. आइए जानते है की क्षेत्र की जनता के लिए विधायक ने क्या क्या विकास कार्य कराए हैं. उनके द्वारा कराए गए कार्य क्या धरातल पर हैं या फिर की गई घोषणाए सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. बताया गया की वर्तमान विधायक ने क्षेत्र में सड़क और बिजली पानी और पुल जैसी मूलभूत सुविधाओं के बेहतर कार्य किए है.

जातीय समीकरण

क्षेत्र में 4 नए पॉवर हाउस की सौगात: स्थानिय लोगों की मानें तो पहले क्षेत्र में बिजली की बहुत ज्यादा समस्या थी. जिसके लिए क्षेत्र में चार नए पॉवर हाउस की स्वीकृति मिली. इनमे से कुछ में कार्य भी शुरु हो चुका है. ग्रामीणों को माइक्रो नहर की सौगात. जबकि शिक्षा के क्षेत्र में शासकीय महाविद्यालय की सौगात भी क्षेत्र वासियों को मिली है. भवन भी बनकर तैयार है. एक CM राइज स्कूल की सौगात. जिसका बीते दिनों ही भूमि पूजन किया गया. क्षेत्र में नल जल योजना का बेहतर कार्य हुआ है. जिससे क्षेत्र वासियों के घरों में पानी की सप्लाई भी शुरु हो चुकी है.

Last Updated : Nov 15, 2023, 10:20 AM IST

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