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MP seat scan Semariya: 2008 में सेमरिया बनी नई विधानसभा, ब्राह्मणों का वर्चस्व, पिछले तीन चुनावों से बीजेपी का स्ट्रांग होल्ड

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 2, 2023, 4:48 PM IST

Updated : Nov 15, 2023, 9:46 AM IST

नवंबर से दिसंबर के मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. प्रदेश में जल्द 230 सीटों में विधानसभा चुनाव होंगे. ऐसे में हम आज आपको रीवा की सेमरिया विधानसभा के बारे में बता रहे हैं. आइए जानते हैं, क्या है इस सीट पर राजनीतिक समीकरण...

MP seat scan Semariya
एमपी की सेमरिया सीट का विश्लेषण

रीवा।नवंबर- दिसंबर के मध्य मध्यप्रदेश में विधान सभा के चुनाव होने वाले है. प्रदेश में जल्द ही 230 सीटो में विधानसभा चुनाव होंगे. ऐसे में "ETV BHARAT" आप सभी को प्रदेश की तमाम सीटो के बारे में बड़ी ही बारीकी से जानकारी उपलब्ध करा रहा है. प्रदेश में कई ऐसे जिले है, जहां हर एक विधानसभा सीट कुछ अलग ही कहानी बयां करती है. आज हम बात कर रहे विंध्य क्षेत्र के रीवा जिले की जहां 8 विधानसभा सीटे हैं. इनकी प्रदेश भर में कुछ अलग ही खासियत है.

सेमरिया विधानसभा सीट के बारे में यह सीट 15 वर्ष पहले यानी की 2008 में ही नई विधानसभा घोषित हुई. तब से लेकर अब तक यहां पर बीजेपी का ही कब्जा है.

सेमरिया सीट की खासियत

जातिगत समीकरण:ब्राम्हण बाहुल्य क्षेत्र होने के साथ ही सेमरिया विधानसभा में सामान्य वोटर्स की संख्या 46 %, इनमें ब्राह्मण 36 %, अजा 17%, ओबीसी 22%, एवं अजजा 13% कोल आदिवासी ज्यादा है.

सेमरिया का जातीय समीकरण

2008 में सेमरिया बनी नई विधानसभा:वर्तमान में सेमरिया विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक केपी त्रिपाठी है. सेमरिया सीट में पांच साल से से यहां पर मात्र बीजेपी का दबदबा बरकरार है. वर्ष 2003 में प्रदेश में भाजपा की ही सरकार थी और तब प्रदेश की मुख्यमंत्री उमा भारती थीं. 2008 में विधान के चुनाव होने थे. उसी दौरान सेमरिया नई विधानसभा सीट बनीं प्रदेश की भाजपा सरकार ने अभय मिश्रा को बीजेपी से टिकट देकर चुनावी मैदान पर उतारा और उन्होंने BSP उम्मीदवार लालमणि पांडे को करारी सिखस्त देते हुए जीत हासिल की.

सेमरिया के स्थानीय मुद्दे



अबतक हुए तीन चुनाव, तीनों चुनाव में बीजेपी का कब्जा:2013 में हुऐ विधानसभा चुनाव की अगर बात की जाए तो सेमरिया विधानसभा सीट में बीजेपी ने चुनावी दांव पेज चलकर अभय मिश्रा की पत्नी नीलम मिश्रा को चुनावी मैदान पर उतारा. चुनाव हुए और एक बार फिर चुनावी नतीजा बीजेपी के ही पक्ष में आया. BSP कैंडिडेट पंकज सिंह को हराकर नीलम मिश्रा क्षेत्र से विधायक चुनी गई.

सेमरिया सीट पर साल 2018 चुनाव परिणाम

इस दौरान मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान थे. समय बीता और एक बार फिर विकास को मुद्दा बनाते हुए भाजपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव की तैयारिया शुरू कर दी. इस बार चुनाव से ठीक पहले अभय मिश्रा और उनकी पत्नी ने भाजपा का दामन छोड़कर अलविदा कह दिया.

सेमरिया पर पिछले तीन चुनाव परिणाम
2018 के विधानसभा चुनाव की जब बारी आई तो इस सीट में बड़ी उठापटक हुई. सेमरिया सीट से दो बार जीत हासिल करने के बाद अभय मिश्रा और पत्नी नीलम मिश्रा दोनो ने एक एक कर के पार्टी पर गंभीर आरोप मढ़ते हुए बीजेपी का दामन छोड़ा और अभय मिश्रा ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया. अभय मिश्रा और पत्नी नीलम मिश्रा के पार्टी छोड़ने से भाजपा को बडा झटका लगा. 2018 विधानसभा चुनाव नजदीक आए तब बीजेपी ने राजेंद्र शुक्ला के करीबी कहे जाने वाले युवा नेता और भाजपा से समर्थन प्राप्त करके उस समय जनपद अध्यक्ष रहे केपी त्रिपाठी को चुनावी मैदान में उतार दिया, जिसमें भाजपा को एक बार फिर कामयाबी हासिल हुई और केपी त्रिपाठी भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं की नजरो में खरे साबित उतरे.
सेमरिया सीट पर कितने मतदाता

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2018 में विधायक बने केपी त्रिपाठी:2018 में हुए विधानसभा चुनाव में केपी त्रिपाठी भाजपा की टिकट से चुनाव लड़े और अपनें प्रतिद्वंदी और काग्रेस के वरिष्ठ नेता त्रियुगी नारायण शुक्ला को हरा कर जीत हासिल की तथा सेमरिया विधानसभा में MLA की कुर्सी पर काबिज हुए. कुल मिलाकर 3 बार के हुए विधानसभा चुनावों में हर बार नए चेहरे के साथ चुनावी मैदान में उतरी बीजेपी को यहां से प्रचंड जीत मिली है. अब देखना होगा की 2023 के आने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी केपी त्रिपाठी को ही दोबारा चुनावी मैदान पर उतारती है या फिर वही पुराना फार्मूला अपनाते हुए नए किसी नए कैंडीडेट को मैदान पर उतारा जाएगा. बता दें, सेमरिया विधानसभा से पूर्व विधायक अभय मिश्रा और नीलम मिश्रा की तो हाल ही में कांग्रेस का हाथ छोड़कर उन्होंने ने घर वापसी का रास्ता अपनाया और डोबारा भाकपा में शमिल हो गए. शमिल होते ही अभय मिश्र ने कहा था की भूलवश वह कांग्रेस के पाले में चले गए थे.

इस सीट में BSP और BJP के बीच कांटे की टक्कर:सेमरिया भले ही वर्ष 2008 में अस्तित्व में आई और परिसीमन के बाद नई विधानसभा घोषित हुई. 2008 व 2013 के विधानसभा चुनाव में यहां BJP और BSP के बीच ही कांटे की टक्कर देखने को मिली. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही. अब 2023 में जो समीकरण निकल कर समाने आ रहे हैं. उससे ऐसा प्रतीत होता है कि इस बार के चुनाव में बीजेपी कांग्रेस और BSP तीनो ही पार्टियों के बीच कांटे टक्कर हो सकती है. BSP और कांग्रेस जिताऊ कैंडिडेट की तलाश कर रही तो वहीं बीजेपी ने भी अभी अपना प्रत्याशी घोषित नही किया है. अब देखना होगा की बीजेपी केपी त्रिपाठी को चुनावी मैदान में उतार कर दोबारा उनपर भरोसा जताती है या कही चुमावी गुणाभाग में उलझकर बीजेपी कोई और फैसला न लेती है.

Last Updated : Nov 15, 2023, 9:46 AM IST

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