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MP Seat Scan Mauganj: मऊगंज सीट पर 33 साल बाद खुला भाजपा का खाता, नया जिला बनाने का फार्मूला आएगा काम, या जानता करेगी बदलाव

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 28, 2023, 2:51 PM IST

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे मऊगंज विधानसभा सीट के बारे में. मऊगंज सीट की अपनी अलग कहानी है. इस सीट पर वर्तमान में बीजेपी का विधायक है. बीजेपी ने 33 साल बाद यहां जीत हासिल की. बता दें हाल ही में मऊगंज को जिला बनाया गया है.

MP Seat Scan Mauganj
एमपी सीट स्कैन मऊगंज

रीवा। 2023 चुनावी साल है जल्द ही मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले है. प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें है. ऐसे में "ETV BHARAT" आपको प्रदेश की हर एक सीट के बारे में बड़ी ही बारीकी से जानकारी उपलब्ध करा रहा है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं. विंध्य की मऊगंज विधानसभा सीट के बारे में जिसकी एक अलग ही खासियत है. मऊगंज में बीजेपी के प्रदीप पटेल वर्तमान में भाजपा विधायक है और 1985 के बाद 2018 में भाजपा ने यहां दोबारा अपनी जीत दर्ज कराई थी. लेकिन इस सीट का यहां एक अजब गजब किस्सा भी है. कहा जाता है की इस सीट में जिस दल का भी विधायक चुनाव में जीत हासिल करता है. प्रदेश में उस दल की सराकर नहीं बनती. अब सच है या महज एक इत्तफाक यह तो 2023 विधानसभा चुनाव होने के बाद ही पता चलेगा.

जानिए मऊगंज विधानसभा सीट का समीकरण: आज हम आपको बताने जा रहे हैं रीवा जिले के मऊगंज विधानसभा सीट के बारे में इस सीट की क्या खासियत है. इस क्षेत्र में पिछले कितने सालों से किस पार्टी का कब्जा है. सिरमौर विधानसभा सीट से 2018 के चुनाव में चुने गए वर्तमान विधायक ने क्षेत्र की जनता के हित में क्या-क्या कार्य कराए हैं. इस सीट पर वर्ष 1985 के बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार उतारकर दोबारा इस सीट से अपना खाता खोला था. जिसके बाद सरकार ने विधायक प्रदीप पटेल को राज्य मंत्री का दर्जा देकर उन्हें एक नई जिम्मेदारी सौंपी थी.

मऊगंज सीट का रिपोर्ट कार्ड

मऊगंज से भाजपा बिधायक है प्रदीप पटेल: मऊगंज विधानसभा सीट से वर्तमान में प्रदीप पटेल विधायक हैं. जिन पर भरोसा करके मऊगंज विधानसभा क्षेत्र की जनता ने 2018 के विधानसभा चुनाव में इन्हें विधायक बनाया था. विधायक की कुर्सी में बैठने के बाद ही इन्होंने जनता की उम्मीदों में खरे उतरने का काम किया है. मऊगंज को सीएम शिवराज द्वारा जिला घोषित करावा के बरसों से उठ रही जिला बनाने की मांग को पूरा कर दिया है. अब अगामी 2023 के विधानसभा चुनाव में यह देखना होगा की सीएम शिवराज के द्वारा चला गया मऊगंज को जिला बनाए जाने वाला चुनावी पैंतरा एक बार और जीत दिलाएगा या फिर कांग्रेस और BSP शिवराज सिंह के चुनावी पैतरे को ही पलट कर न रख देगी.

इस सीट की एक अलग ही कहानी इत्तेफाक या फिर सच: वैसे तो इस सीट में एक अलग ही किस्सा है. जानकारों की माने तो मऊगंज सीट से जिस भी दल का नेता चुनकर यहां पर विधायक की कुर्सी पर काबिज होता है. अगली बार प्रदेश में उस दल की सरकार ही नहीं बनती. अगर बात की जाए 2013 के विधानसभा चुनाव की तो मऊगंज विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार और दिग्गज नेता सुखेंद्र सिंह बन्ना ने बाजी मारते हुए इस सीट को अपने कब्जे में ले लिया और विधायक की कुर्सी पर विराजमान हो गए. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भी बन गई. इसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव हुए और बाजी पलट गई. 33 साल के बाद दूसरी बार मऊगंज विधनसभा सीट से बीजेपी ने अपना खाता खोला और बीजेपी उम्मीदवार प्रदीप पटेल विधायक चुने गए. प्रदेश में दोबारा भाजपा की सरकार बनी.

साल 2018 का रिजल्ट

जिस पार्टी का जीतेगा उम्मीदवार अगली बार प्रदेश में नहीं होगी उसकी सरकार: अब इसे मात्र एक इत्तेफाक कहें या फिर मऊगंज सीट में होने वाली अजीबोगरीब या फिर कोई अशुभ घटना कहे. अगर यह बात सत्य है और अगर इस बार के चुनाव में मऊगंज सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार ने बाजी मारी और वह विधायक बने तो प्रदेश में भाजपा की सरकार बनना तय है. अगर भाजपा के उम्मीदवार ने जीत हासिल की तो प्रदेश में चुनाव के बाद बीजेपी नहीं कांग्रेस की सरकार बनेगी. 2018 में बीजेपी के प्रदीप पटेल यहां से विधायक चुने गए थे. उनके कार्यकाल को पूरे 5 वर्ष बीतने वाले है और अब 2023 के अंत में एक बार फिर विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. इस बार देखना होगा की इस सीट से जीत का ताज किसके सिर पर होगा और जीत हार के बाद ही पता लागेगा की यहां घटने वाली घटना सत्य है या फिर यह इत्तेफाक महज एक झूठी कहानी है.

अब बात मऊगंज क्षेत्र में हुए पीछले 5 सालो के विकास कार्यों की: अगर बात की जाए मऊगंज के विकास कार्यों की तो यहां पर पिछले 5 वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में ज्यादा कुछ भी विकास कार्य नहीं हो पाए हैं. विकास के नाम पर ज्यादातर यहां पर यात्री प्रतीक्षालयों की भरमार है. इसके आलावा क्षेत्र में 20 से ज्यादा क्रेशर भी संचालित है. पानी के लिए जल जीवन मिशन योजना के तहत सप्लाई भी शूरु कर दी गई. इसके अलावा नल जल योजना के अंर्तगत मात्र मऊगंज शहर में घर घर पानी की सप्लाई पहुंचाई गई. शहर के सिविल अस्पताल को 60 से बढ़ाकर 100 बिस्तर किया गया, लेकिन अब भी अस्पताल का भवन निर्माणाधीन है. मऊगंज नगर में डिवाइडर युक्त 6 किलोमीटर लंबी फोर लेन रोड, अलग अलग स्थानों में 4 सीएम राइज स्कूल. इसके अलावा और कुछ भी विकास कार्य नहीं हो पाए.

जानता को लुभाने के लिए सीएम ने चला जिला बनाने का चुनावी पैंतरा: वैसे तो बीते 5 सालों के दौरान मऊगंज में कुछ खास विकास कार्य तो नहीं हुए लेकिन वर्षों से चली आ रही मऊगंज को जिला बनाए जाने की मांग इस वर्ष जरूर पूरी हो गई. मध्यप्रदेश में 2023 के अंत तक आगामी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. लेकिन इससे पहले ही मऊगंज की नाराज जनता को खुश करते हुए क्षेत्रीय विधायक प्रदीप पटेल और सीएम शिवराज ने चुनावी दांव पेंच चलकर बीते 4 मार्च 2023 के दिन मऊगंज में अयोजित सभा से सीएम शिवराज ने हाथ में मऊगंज का नक्शा लेकर मऊगंज को नया जिला बनाए जाने की घोषणा क्षेत्र की जनता के समक्ष कर दी थी. अब देखना यह होगा की 2023 के अगामी चुनाव में जानता का रुख क्या है.

चुनाव से पहले 15 अगस्त को मऊगंज बना एमपी का 53वां जिला: 4 मार्च 2023 को जिला बनाए जाने के बाद 15 अगस्त 2023 को जिला मुख्यालय में विधानसभा अध्यक्ष गिरिश गौतम के हाथों तिरंगा भी फहराया गया था. इस दौरान विधानासभा अध्यक्ष ने मऊगंज को जिला बनाए जाने के लिए क्षेत्र की जानता को सुभकामनाएं भी दी थी. जिला बनने के साथ मुख्यालय में नवागत एसपी और कलेक्टर की तैनाती हुई. जिसके बाद सीएम शिवराज ने क्षेत्र में नए नए विकास कार्यों की बौछार लगा दी. जिला बनते ही क्षेत्र को कई बड़ी सौगात मिली. मऊगंज के हनुमना में शासकीय महाविद्यालय की घोषणा. 10 किलोमीटर की पन्नी पथरिया से पटेहरा हाइवे में रिंग रोड की घोषणा, मऊगंज से बहेरा डाबर तक फोर लेन सड़क की घोषणा, साथ ही रिंग रोड के समीप गुरेहटा और पटेहरा दो स्थानों पर उद्योगिक नगरी का निर्माण, 3366 करोड़ 81 लाख के लागत का लिफ्ट इरिगेशन परियोजना जिससे 500 गांवों के किसान लाभांवित होंगे.

चौरासी गांव के लोग करते है प्रत्याशी के भाग्य का फैसला: मऊगंज विधानसभा सीट की एक और बड़ी खासियत है यहां पर चुनावी गुणाभाग का खेल चौरासी गांव के लोग पूरी तरह से पलट कर रख देते हैं. बयाया जाता है की इस गांव की जनसंख्या ही तकरीबन 2 लाख की आबादी वाला है. कहते है की जैसे ही चुनाव की तारीख नजदीक आएगी उसी दौरान चौरासी गांव के लोग अपना नेता चुनकर उसे अपना समर्थन दे देंगे. जिसके बाद मऊगंज सीट का सारा चुनावी गणित बिगड़ जाता है.

सेंगर राजाओं का गढ़ हुआ करता था मऊगंज: बताया जाता है की ग्यारहवीं शताब्दी में जालौन से सेंगर राजाओं ने मऊगंज में प्रवेश किया था और चौदहवीं शताब्दी तक यहां पर अपना शासन जमाया. जिसे मऊ राज के नाम से भी जाना जाता था. हालांकि, बघेलों के नाम से प्रसिद्ध राजपूतों के एक नए कबीले ने मऊ राज पर आक्रमण किया और सेंगरों के किले को नष्ट कर दिया. उस क्षेत्र में बघेलों के शासन की स्थापना की. जिसके बाद से यह बघेल खण्ड के नाम से नाम से जाना गया. वैसे तो मऊगंज को पर्यटक और धार्मिक स्थल के रुप से नहीं देखा जाता. मगर मऊगंज के चौहना गांव में एक भगवान विष्णु की लगभग 1 हजार वर्ष पुरानी मन्दिर स्थापित है. जिसने प्रशासनिक अनदेखी के चलते अपना अस्तित्व खो दिया.

इस सीट से अब तक नहीं मिल पाया जनता का मिजाज: बात की जाए मध्यप्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के बारे में तो 230 विधानसभा सीटों के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी जोर आजमाइश शुरू कर दी है. जिसके चलते सभी नेतागण चुनावी मैदान पर उतर चुके हैं. चुनाव की नजदीकियों को देखते हुए मऊगंज विधानसभा में भी नेताओं का दौरा शुरू हो चुका है. ऐसे में अब तक यहां की जानता का मिजाज किसी के समझ में नहीं आया. किसके चलते नेताओं की धड़कने तेज हो गई है.

1985 के बाद BSP के आलावा नही दिखा किसी भी पार्टी का दबदबा: मऊगंज विधानसभा सीट में साल 1985 के बाद से अब तक यहां पर BSP के अलावा किसी भी अन्य पार्टी का दबदबा देखने को नहीं मिला है. 38 सालों के दौरान कहीं इस सीट पर कांग्रेस सीना तान के खड़ी हुई दिखाई दी तो लगातार तीन बार जीत हासिल कर BSP प्रत्याशी डॉ. IMP वर्मा ने अपना दमखम दिखाया. 1985 में भाजपा की टिकट से जगदीश तिवारी मशुरिहा यहां के विधायक बने. इसके बाद 2018 में मऊगंज सीट से बीजेपी की टिकट पर प्रदीप पटेल चुनावी मैदान पर उतरे और अपनी जीत दर्ज कराई. अब देखना होगा की 2023 में इस सीट पर बीजेपी की वापसी होती है, या फिर यहां की जानता कहीं BSP या कांग्रेस के उम्मीदवार को अपना नेता चुनकर विधायक की कुर्सी पर बैठा दें.

1985 से अब तक किसकी कितने वोटो से हुई हार जीत: 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उमीदवार अचुतानंद को 5030 वोटों से पराजित कर बीजेपी उम्मीदवार जगदीश तिवारी मशुरिहा ने जीत हासिल की. वर्ष 1990 में बीजेपी उमीदवार केशव प्रसाद को 936 वोटों से हराकर कांग्रेस उम्मीदवार उदय प्रकाश मिश्रा ने जीत का ताज अपने सर पर रख लिया. इसके बाद 1993 में बीजेपी उमीदवार केशव प्रसाद को 5559 वोटों से करारी शिकस्त देते हुए BSP उमीदवार डॉ. IMP वर्मा ने अपनी जीत दर्ज कराई थी. 1998 में एक बार फिर BSP की टिकट पर डॉ. IMP वर्मा मऊगंज से चुनाव लडे़ और इस बार उन्होंने कांग्रेस प्रत्यासी रतन सिंह को 2630 वोटो से हराकर चुनाव जीते. 2003 के चुनाव में एक बार फिर BSP की टिकट पर डॉ. IMP वर्मा चुनाव लडे़ और 4864 वोटो से स्वर्ण समाज पार्टी के प्रत्याशी लक्ष्मण तिवारी को हराकर लगातार तीसरी बार मऊगंज के विधायक चुने गए.

मऊगंज की खासियत

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

2008 के चुनावी परिणाम: वहीं 2008 के मऊगंज विधानसभा सीट के चुनाव परिणाम की बात की जाए तो बीजेपी की टिकट से चुनावी मैदान पर उतरे अखण्ड प्रताप सिंह को भारतीय जनशक्ति पार्टी के प्रत्याशी लक्ष्मण तिवारी ने 4879 वोटों से पराजित कर दिया और मऊगंज के विधायक बन गए. वर्ष 2013 में बीजेपी की टिकट से लक्ष्मण तिवारी ने चुनाव लड़ा पर कांग्रेस के उम्मीदवार सुखेन्द्र सिंह बन्ना ने उन्हें 10766 वोट हराकर अपनी जीत दर्ज कराई. 2018 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट से सुखेंद्र सिंह बन्ना दोबारा चुनाव लडे़ लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा और 10892 वोटों से हराकर बीजेपी के प्रदीप पटेल विधायक की कुर्सी पर विराजमान हुए.

मऊगंज सीट के मतदाता

नया जिला बना पर श्रेय लेने के लिए मची नेताओं की होड़:मऊगंज MP का 53 वां जिला तो बन गया, लेकिन जिला बनाए जाने का श्रेय लेने की होड़ अब भी मची हुई है. कांग्रेस के पूर्व विधायक सुखेंद्र सिंह बन्ना का कहना है की "पिछले कई वर्षों से वह मऊगंज को जिला बनाए जाने की मांग उठा रहे थे. इसके लिए उन्होंने कई अंदोलन भी किए और हजारों के तादाद में क्षेत्र की जनता के साथ कई बार अपनी गिरफ्तारी भी दी जिसके बाद CM शिवराज को मजबूरन मऊगंज को जिला बनाए जाने की घोषणा करनी पड़ी."

मऊगंज विधानसभा सीट का जातिय समीकरण:मऊगंज विधानसभा सीट की जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पर करीब 18 प्रतिशत ओबीसी, 19 प्रतिशत SC और 14 प्रतिशत ST वर्ग के वोटर हैं. इसके आलावा सामान्य वर्ग का वोट प्रतिशत 45 फीसदी हैं. इनमें से ब्राह्मण वोटर्स की संख्या 32 प्रतिशत है. यहां 50 फीसदी से अधिक वोट पिछड़े, SC और ST वर्ग का है जो चुनावी जीत में अपनी अहम भूमिका निभाता है.

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