रीवा। 2023 चुनावी साल है जल्द ही मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले है. प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें है. ऐसे में "ETV BHARAT" आपको प्रदेश की हर एक सीट के बारे में बड़ी ही बारीकी से जानकारी उपलब्ध करा रहा है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं. विंध्य की मऊगंज विधानसभा सीट के बारे में जिसकी एक अलग ही खासियत है. मऊगंज में बीजेपी के प्रदीप पटेल वर्तमान में भाजपा विधायक है और 1985 के बाद 2018 में भाजपा ने यहां दोबारा अपनी जीत दर्ज कराई थी. लेकिन इस सीट का यहां एक अजब गजब किस्सा भी है. कहा जाता है की इस सीट में जिस दल का भी विधायक चुनाव में जीत हासिल करता है. प्रदेश में उस दल की सराकर नहीं बनती. अब सच है या महज एक इत्तफाक यह तो 2023 विधानसभा चुनाव होने के बाद ही पता चलेगा.
जानिए मऊगंज विधानसभा सीट का समीकरण: आज हम आपको बताने जा रहे हैं रीवा जिले के मऊगंज विधानसभा सीट के बारे में इस सीट की क्या खासियत है. इस क्षेत्र में पिछले कितने सालों से किस पार्टी का कब्जा है. सिरमौर विधानसभा सीट से 2018 के चुनाव में चुने गए वर्तमान विधायक ने क्षेत्र की जनता के हित में क्या-क्या कार्य कराए हैं. इस सीट पर वर्ष 1985 के बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार उतारकर दोबारा इस सीट से अपना खाता खोला था. जिसके बाद सरकार ने विधायक प्रदीप पटेल को राज्य मंत्री का दर्जा देकर उन्हें एक नई जिम्मेदारी सौंपी थी.
मऊगंज से भाजपा बिधायक है प्रदीप पटेल: मऊगंज विधानसभा सीट से वर्तमान में प्रदीप पटेल विधायक हैं. जिन पर भरोसा करके मऊगंज विधानसभा क्षेत्र की जनता ने 2018 के विधानसभा चुनाव में इन्हें विधायक बनाया था. विधायक की कुर्सी में बैठने के बाद ही इन्होंने जनता की उम्मीदों में खरे उतरने का काम किया है. मऊगंज को सीएम शिवराज द्वारा जिला घोषित करावा के बरसों से उठ रही जिला बनाने की मांग को पूरा कर दिया है. अब अगामी 2023 के विधानसभा चुनाव में यह देखना होगा की सीएम शिवराज के द्वारा चला गया मऊगंज को जिला बनाए जाने वाला चुनावी पैंतरा एक बार और जीत दिलाएगा या फिर कांग्रेस और BSP शिवराज सिंह के चुनावी पैतरे को ही पलट कर न रख देगी.
इस सीट की एक अलग ही कहानी इत्तेफाक या फिर सच: वैसे तो इस सीट में एक अलग ही किस्सा है. जानकारों की माने तो मऊगंज सीट से जिस भी दल का नेता चुनकर यहां पर विधायक की कुर्सी पर काबिज होता है. अगली बार प्रदेश में उस दल की सरकार ही नहीं बनती. अगर बात की जाए 2013 के विधानसभा चुनाव की तो मऊगंज विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार और दिग्गज नेता सुखेंद्र सिंह बन्ना ने बाजी मारते हुए इस सीट को अपने कब्जे में ले लिया और विधायक की कुर्सी पर विराजमान हो गए. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भी बन गई. इसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव हुए और बाजी पलट गई. 33 साल के बाद दूसरी बार मऊगंज विधनसभा सीट से बीजेपी ने अपना खाता खोला और बीजेपी उम्मीदवार प्रदीप पटेल विधायक चुने गए. प्रदेश में दोबारा भाजपा की सरकार बनी.
जिस पार्टी का जीतेगा उम्मीदवार अगली बार प्रदेश में नहीं होगी उसकी सरकार: अब इसे मात्र एक इत्तेफाक कहें या फिर मऊगंज सीट में होने वाली अजीबोगरीब या फिर कोई अशुभ घटना कहे. अगर यह बात सत्य है और अगर इस बार के चुनाव में मऊगंज सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार ने बाजी मारी और वह विधायक बने तो प्रदेश में भाजपा की सरकार बनना तय है. अगर भाजपा के उम्मीदवार ने जीत हासिल की तो प्रदेश में चुनाव के बाद बीजेपी नहीं कांग्रेस की सरकार बनेगी. 2018 में बीजेपी के प्रदीप पटेल यहां से विधायक चुने गए थे. उनके कार्यकाल को पूरे 5 वर्ष बीतने वाले है और अब 2023 के अंत में एक बार फिर विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. इस बार देखना होगा की इस सीट से जीत का ताज किसके सिर पर होगा और जीत हार के बाद ही पता लागेगा की यहां घटने वाली घटना सत्य है या फिर यह इत्तेफाक महज एक झूठी कहानी है.
अब बात मऊगंज क्षेत्र में हुए पीछले 5 सालो के विकास कार्यों की: अगर बात की जाए मऊगंज के विकास कार्यों की तो यहां पर पिछले 5 वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में ज्यादा कुछ भी विकास कार्य नहीं हो पाए हैं. विकास के नाम पर ज्यादातर यहां पर यात्री प्रतीक्षालयों की भरमार है. इसके आलावा क्षेत्र में 20 से ज्यादा क्रेशर भी संचालित है. पानी के लिए जल जीवन मिशन योजना के तहत सप्लाई भी शूरु कर दी गई. इसके अलावा नल जल योजना के अंर्तगत मात्र मऊगंज शहर में घर घर पानी की सप्लाई पहुंचाई गई. शहर के सिविल अस्पताल को 60 से बढ़ाकर 100 बिस्तर किया गया, लेकिन अब भी अस्पताल का भवन निर्माणाधीन है. मऊगंज नगर में डिवाइडर युक्त 6 किलोमीटर लंबी फोर लेन रोड, अलग अलग स्थानों में 4 सीएम राइज स्कूल. इसके अलावा और कुछ भी विकास कार्य नहीं हो पाए.
जानता को लुभाने के लिए सीएम ने चला जिला बनाने का चुनावी पैंतरा: वैसे तो बीते 5 सालों के दौरान मऊगंज में कुछ खास विकास कार्य तो नहीं हुए लेकिन वर्षों से चली आ रही मऊगंज को जिला बनाए जाने की मांग इस वर्ष जरूर पूरी हो गई. मध्यप्रदेश में 2023 के अंत तक आगामी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. लेकिन इससे पहले ही मऊगंज की नाराज जनता को खुश करते हुए क्षेत्रीय विधायक प्रदीप पटेल और सीएम शिवराज ने चुनावी दांव पेंच चलकर बीते 4 मार्च 2023 के दिन मऊगंज में अयोजित सभा से सीएम शिवराज ने हाथ में मऊगंज का नक्शा लेकर मऊगंज को नया जिला बनाए जाने की घोषणा क्षेत्र की जनता के समक्ष कर दी थी. अब देखना यह होगा की 2023 के अगामी चुनाव में जानता का रुख क्या है.
चुनाव से पहले 15 अगस्त को मऊगंज बना एमपी का 53वां जिला: 4 मार्च 2023 को जिला बनाए जाने के बाद 15 अगस्त 2023 को जिला मुख्यालय में विधानसभा अध्यक्ष गिरिश गौतम के हाथों तिरंगा भी फहराया गया था. इस दौरान विधानासभा अध्यक्ष ने मऊगंज को जिला बनाए जाने के लिए क्षेत्र की जानता को सुभकामनाएं भी दी थी. जिला बनने के साथ मुख्यालय में नवागत एसपी और कलेक्टर की तैनाती हुई. जिसके बाद सीएम शिवराज ने क्षेत्र में नए नए विकास कार्यों की बौछार लगा दी. जिला बनते ही क्षेत्र को कई बड़ी सौगात मिली. मऊगंज के हनुमना में शासकीय महाविद्यालय की घोषणा. 10 किलोमीटर की पन्नी पथरिया से पटेहरा हाइवे में रिंग रोड की घोषणा, मऊगंज से बहेरा डाबर तक फोर लेन सड़क की घोषणा, साथ ही रिंग रोड के समीप गुरेहटा और पटेहरा दो स्थानों पर उद्योगिक नगरी का निर्माण, 3366 करोड़ 81 लाख के लागत का लिफ्ट इरिगेशन परियोजना जिससे 500 गांवों के किसान लाभांवित होंगे.