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MP Seat Scan Deotalab: भोलेनाथ की नगरी में 25 सालों से बीजेपी का कब्जा, बसपा बनेगी रोड़ा या कांग्रेस खत्म करेगी विजय अभियान - एमपी न्यूज

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे रीवा जिले के देवतालाब विधानसभा सीट के बारे में. देवों के देव महादेव की नगरी कहे जाने वाले देवतालाब सीट पर कांग्रेस का हाल बहुत बुरा है. 35 सालों से इस सीट पर कांग्रेस को जीत हासिल नहीं हुई है. जबकि पिछले 25 सालों से यहां बीजेपी का राज है और इससे पहले इस सीट पर बसपा का वर्चस्व था. जानिए देवतालाब सीट का इतिहास और समीकरण

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Published : Jun 26, 2023, 6:16 AM IST

रीवा।2023 चुनावी साल है, साल के अंत तक नवंबर व दिसंबर माह के दौरान मधयप्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे है. ऐसे में 'ETV BHARAT' प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों का बारीकी से विश्लेषण कर रहा है. एक-एक कर सभी सीटों को स्कैन किया जाएगा. इसमें बताया जाएगा की किस विधानसभा क्षेत्र में मौजूदा विधायक के द्वारा क्षेत्र में क्या-क्या कार्य कराए गए हैं. मौजूदा विधायकों के द्वारा किए गए चुनावी वादे क्या धरातल पर हैं या फिर जनता अब भी वोट का चोट सह रही है. पढ़िए क्या है 2023 के विधानसभा चुनाव का चुनावी समीकरण.

जानिए देवतालाब विशानसभा सीट का समीकरण:हम बताने जा रहे देवतालाब विधानसभा सीट के बारे में इस सीट की क्या खासियत है. इस क्षेत्र में पिछले कितने सालों से किस पार्टी का कब्जा है. देवतालाब विधानसभा सीट से चुने गए विधायक क्षेत्र में जनता के बीच खरे उतरे हैं या फिर क्षेत्र की जनता अभी तक खुद को ठगा हुआ समझ रही है. इस क्षेत्र में क्या-क्या विकास कार्य हुए. या फिर भोली भाली जनता अब भी मूल भूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है.

भोलेनाथ की नगरी के नाम से भी जाना जाता हैं देवतालाब:देवो के देव महादेव की नगरी कहे जाने वाले देवतालाब का क्षेत्र फल तो काफी बड़ा है. इस विधानसभा क्षेत्र की जनसंख्या लगभग 5 लाख के आसपास है. यहां पर कुल वोटरों की संख्या लगभग 234346 है. जिसमें महिला वोटर 110141 और पुरुष वोटरों की संख्या 124204 है. जबकि अन्य वोटर की संख्या 1 है.

देवतालाब सीट के मतदाता

2008 से 2018 तक गिरिश गौतम का चुनावी सफर:

साल 2008 का रिजल्ट: साल 2008 में बीजेपी ने गिरीश गौतम को उम्मीदवार बनाया था. जबकि विरोधी पार्टी में बसपा पार्टी थी. जहां चुनाव में गिरीश गौतम को 20632 वोट मिले थे. जबकि बसपा उम्मीदवार विद्यावती पटेल को 16873 वोट प्राप्त हुए. गिरिश गौतम 3759 वोटों से विजयी घोषित हुए थे.

साल 2013 का रिजल्ट:साल 2013 में बीजेपी की ओर से एक बार फिर चुनावी मैदान में गिरीश गौतम थे. जिन्हें चुनाव में 36495 वोट मिले थे. जबकि बसपा से उम्मीदवार रहीं विद्यावती पटेल को 32610 वोट प्राप्त हुए. गिरिश गौतम 3885 मत प्राप्त कर जीत हासिल की थी.

देवतालाब सीट का समीकरण

साल 2018 का रिजल्ट:वर्ष 2018 में भी बीजेपी ने गिरीश गौतम को टिकट दिया. जबकि बसपा से सीमा जयवीर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था. जहां चुनावी परिणाम में गिरीश गौतम को 45043 वोट मिले थे. जबकि बसपा उम्मीदवार सीमा जयवीर सिंह को 43963 वोट मिले थे. जहां एक बार फिर चुनाव में गिरीश गौतम ने जीत हासिल की थी. चुनाव में गिरीश गौतम ने 1080 वोटों से जीत हासिल की थी और तीसरे बार देवतालाब सीट से विधायक बने.

एक बार मनगवां और तीन बार देवतालाब से जीत हासिल करने के बाद पार्टी में गिरिश गौतम का कद ऊंचा हो गया. जिसके बाद वर्ष 2018 में उन्हें विधानसभा का अध्यक्ष बना दिया गया.

साल 2018 का रिजल्ट

देवतालाब विधानसभा में हुए मुख्य विकास कार्यों के दावे -

  1. देवतालाब मंदिर का सौंदर्यीकरण
  2. 369 करोड की लागत से सड़को का जाल (निर्माणाधीन)
  3. 786 करोड़ की लागत का माइक्रो एरिगेशन प्रोजेक्ट
  4. 2 पीएम राइज स्कूल
  5. 5 सीएम राइज स्कूल
  6. कॉलेज भवन का निर्माण
  7. अन्य विकास कार्य

भाजपा विधायक गिरिश गौतम बने थे विधानसभा अध्यक्ष: देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में गिरीश गौतम विधायक हैं. जिन्हें इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा का अध्यक्ष भी बनाया गया है. दरअसल वर्ष 2008 में जिले की देवतालाब विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के गिरीश गौतम को क्षेत्र की जनता ने विधायक बनाया था. जिसके बाद से वह अब तक लगातार यहां पर विधायक बने हुए हैं. लगातार चार बार विधायक बने होने के कारण ही इस बार मध्य प्रदेश में बनी भाजपा की सरकार में उन्हें विधानसभा अध्यक्ष भी बनाया गया है. वर्ष 2008 के पहले वर्ष 2003 में गिरीश गौतम को मनगवां विधानसभा सीट से जीत मिली थी. जहां पर उन्होंने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता श्रीनवास तिवारी को शिकस्त दी थी.

विंध्य को मिले दो विधानसभा अध्यक्ष:देखा जाए तो विंध्य से अब तक दो कद्दावर नेताओं को विधानसभा अध्यक्ष का दायित्व सौंपा जा चुका है. पंडित श्री निवास तिवारी मनगवां सीट से चुनाव लड़कर अक्सर अपनी जीत दर्ज कराते थे. जिसके बाद सफेद शेर के नाम से मशहूर पंडित श्रीनिवास तिवारी को मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार में विधानसभा का अध्यक्ष की कमान सौंपी गई, लेकिन वर्ष 2003 में मनगवां विधानसभा सीट से बीजेपी ने गिरिश गौतम को अपना उम्मीदवार बनाया और गिरिश गौतम ने पंडित श्रीनिवास तिवारी को करारी सिकस्त देकर जीत हासिल की. पहली बार वह मनगवां सीट से विधायक चुने गए. इसके बाद उन्होंने तीन बार देवतालाब विधानसभा से चुनाव लड़ा और तीनों बार उन्होंने अपनी जीत दर्ज कराई. जिसके बाद भाजपा सरकार ने उन्हें विधानसभा का अध्यक्ष बना दिया.

इस सीट पर पिछले 35 वर्षों से कांग्रेस का सूखा:देवतालाब विधानसभा सीट में विगत 35 वर्षों से कांग्रेस का सूखा पड़ा हुआ है. यहां पर 35 सालों से अब तक कांग्रेस का कोई भी विधायक नहीं चुना गया. वहीं वर्ष 1998 से अब तक यहां पर बीजेपी के विधायक चुने गए हैं. इसके पहले 1990 से लेकर 1998 तक यहां बसपा पर लोगों ने भरोसा जताया था और बहुजन समाज पार्टी से यहां पर विधायक रहे हैं. 1998 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी से पंचू लाल प्रजापति यहां पर विधायक चुने गए और 2008 तक लगातार यहां से विधायक बने. साल 2008 के विधानसभा चुनाव में मनगवां विधानसभा सीट आरक्षित हुई. जिसके कारण पंचू लाल प्रजापति यहां से चुनाव लड़ने लगे और देवतालाब विधानसभा सीट से गिरीश गौतम को वर्ष 2008 में प्रत्याशी बनाया गया. उसके बाद से अब तक वह लगातार देवतालाब के विधायक चुने जा रहे हैं.

देवतालाब की खासियत

हर बार विधानसभा चुनाव में होता है त्रिकोणी मुकाबला: देवतालाब विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर हर बार मुकाबला त्रिकोणीय देखने को मिलता है. कांग्रेस, बसपा और भाजपा की यहां सीधी टक्कर होती है. अंत में जीत भले ही भाजपा की हो परंतु भाजपा को जीत का स्वाद चखने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है.

विपक्ष का आरोप आज भी मूल भूत सुविधाओ से वंचित है क्षेत्र के लोग: विपक्षी पार्टी कांग्रेस नेताओं का कहना है की देवतालाब विधनसभा क्षेत्र आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं. जहां लोगों को चलने के लिए सड़क तक नसीब नहीं हुई. वहीं बिजली, पानी लोगों की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. क्षेत्र के कई लोगों ने तो यह तक कह दिया कि वह सरकारों को चुनने के लिए वोट ही नहीं करेंगे. बहरहाल रीवा जिले की देवतालाब विधानसभा को बीजेपी का गढ़ माना जा रहा है, क्योंकि वर्ष 1998 से लगातार यहां पर भाजपा का ही कब्जा है. आगामी 2023 के विधानासभा चुनाव काफी नजदीक है और यह चुनाव बेहद खास माना जा रहा है. क्योंकि देवतालाब विधनसभा की जनता आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. भाजपा इस बार फिर कराए गए विकास कार्यों को ही मुद्दा बनाकर जनता के बीच जाने वाली है.

देवतालाब सीट का जातीय समीकरण

रीवा विधानसभा सीट का जातीय समीकरण: देवतलाब विधानसभा सीट भी ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है. देवतलाब विधनसभा क्षेत्र में लगभग 34 प्रतिशत समान्य, 11 प्रतिशत राजपूत मतदाता, 32 प्रतिशत ओबीसी मतदाता, 23 प्रतिशत कुरमी, 18 प्रतिशत अजा, एवं 10 फीसदी अजजा मतदाता है. देवतालाब विधानसभा क्षेत्र भले ही ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है, लेकिन यहां प्रत्याशियों के जीत का फैसला ओबीसी वर्ग ही करता है.

1985 से 2018 तक देवतालाब विधानसभा सीट का सफर:देवतालाब विधानसभा चुनाव को लेकर 33 वर्षों में प्रत्याशियों के बीच हुए मुकाबले का अगर देखा जाए तो वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में देवतालाब सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार बिंद्रा प्रसाद ने 12324 मत प्राप्त कर अपनी जीत दर्ज कराई थी. इसके बाद वर्ष 1990 में बसपा के प्रत्यासी जयकरण साकेत ने 20583 मत मत प्राप्त कर अपनी जीत दर्ज कराई. इसके बाद वर्ष 1993 में एक बार फिर बसपा विधायक जयकरण साकेत ने 26840 मत प्राप्त कर दोबारा कुर्सी पर काबिज हुए.

देवतालाब सीट में 1998 से बीजेपी का कब्जा:1998 के चुनाव में भाजपा की टिकट से पंचुलाल प्रजापति चुनाव लडे़ और अन्य दलों को पटखनी देते हुए 16747 वोट पाकर अपनी जीत दर्ज कराई. 2003 में एक बार फिर पंचूलाल प्रजापति ने 33892 मत पाकर जीत हासिल की. इसके बाद मनगवां से बीजेपी विधायक रहे गिरिश गौतम 2008 में देवतालाब विधान सभा से चुनाव लडे़ और 20632 वोट पाकर विजयी हुए. 2013 में भी गिरिश गौतम ने बाजी मारते हुए 36495 वोट पाकर अपनी जीत दर्ज कराई. 2018 के चुनाव में एक बार फिर गिरिश गौतम ने 45043 वोट हासिल कर जीत का ताज अपने सिर पर रख लिया.

देवतालाब विधानसभा सीट में नेताओ की दावेदारी: 2023 के अगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस सक्रिय नेता अपनी अपनी दावेदारी ठोकते हुए दिखाई दे रहे है. देवतालाब विधानसभा सीट में बेजेपी ने अगर कोइ उलटफेर नहीं किया तो एक बार फिर इस सीट से चुनावी मैदान में भाजपा विधायक व विधानसभा अध्यक्ष गिरिश गौतम होंगे. अगर कांग्रेस की बात की जाए तो रिश्ते में गिरिश गौतम के भतीजे पदमेश गौतम भी कांग्रेस की टिकट पर दावेदारी कर रहे हैं. पदमेश गौतम पीछले दस वर्षों से कांग्रेस पार्टी के एक सक्रिय सदस्य हैं और वर्तमान में वह जिला पंचायत सदस्य भी हैं. इसके अलावा कांग्रेस नेता व कांग्रेस कमेटी के जिला महामंत्री कुंज बिहारी तिवारी भी कांग्रेस की टिकट पर अपनी दावेदारी कर रहे हैं. वहीं पिछली बार के चुनाव में गिरिश गौतम को टक्कर देने वाली बसपा उम्मीदवार सीमा जयवीर सिंह वर्तमान में काग्रेंस के साथ हैं. वह भी खुद को प्रबल दावेदार मान रही हैं.

गिरीश गौतम विधायक

नीतियों के क्रियान्वयन के अधार वोट चाहती है भाजपा: देवतालाब सीट से बीजेपी विधायक व मध्यप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने ईटीवी भारत से बात करते हुए आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कहा कि भारतीय जनता पार्टी में ऐसा कुछ नहीं की कोई अवसर आए तो उसके लिए विशेष तैयारी करनी हो. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता 12 माह तक अपने कार्य में जुटे रहते हैं. हम 5 सालों तक लागातार अभ्यास करने वाले हैं. हर कार्यकर्ता यह सोचकर कार्य करता है की एक चुनाव जीते है और फिर दूसरे की तैयारी करनी है. भारतीय जनता पार्टी मुद्दा नहीं चुनाव नीतियों के क्रियान्वयन के आधार पर वोट चाहती है.

शुरु की गई योजनाओं को लेकर जनता के बीच जाएगी भाजपा: हम लाड़ली बहना योजना में 1 हजार रुपए बहनों को देने का काम कर रहे हैं. हम यह बात जनता से बताएंगे की हम पानी देने का काम कर रहे हैं, सड़क बनाने का कार्य कर रहे है, बिजली देने का काम कर रहे हैं स्वास्थ के क्षेत्र में काम कर रहें हैं. इन्हीं नीतियों के क्रियान्वयन के आधार पर हम जनता के बीच जाएंगे. झूठमूट के मुद्दे तो उधर से बनाए जाते हैं. उनके मुद्दे तो संप्रदायिक आधार पर बनते है. धार्मिक आधार पर बनते है. अब तो और भी अधिक तमाशा होने लगा है. मुसलमानों की बात करने वाले जब चुनाव का टाइम आता है तो कोर्ट के ऊपर से जनेऊ पहनकर घूमते हैं. ऐसे लोगों को जनता पहचानती भी समझती भी है और आने वाले समय में उन्हें सबक भी सिखाएगी.

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369 करोड़ की लागत से हो रहा सड़कों का कार्य:देवतालाब विधासभा क्षेत्र में कराए गए विकास कार्यों को लेकर भाजपा विधायक व विधानसभा अध्यक्ष गिरिश गौतम ने कहा की हमारे क्षेत्र में बड़े बड़े काम हुए हैं. वर्तमान में 369 करोड़ रुपए की लागत से सड़कों का काम चल रहा है और यह कार्य 25 से 30 प्रतिशत हो भी चुका है. इसके अलावा 786 करोड़ के माइक्रो एरिगेशन प्रोजेक्ट के तहत बाणसागर के पानी को इसी साल 10 हजार हेक्टेयर की भूमि में पहुंचाना है. आगे उसे बढ़ाकर 50 हजार हेक्टेयर तक ले जाने की योजना बनाई गई है. सीएम राइज स्कूलों का जाल बिछा दिया गया, 3 स्कूल हो गए. दो और स्कूलों की सौगात मिलने वाली है. 1 सीएम राइजिंग स्कूल में लगभग 85 करोड़ खर्च होता है. इसके अलावा 2 पीएम राइजिंग स्कूल क्षेत्र को मिले हैं. पीएम राइजिंग के 1 स्कूल में 100 करोड़ खर्च किए जाते है. क्षेत्र में कॉलेज, स्कूल बन गए. शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र में भी कई काम हुए हैं.

क्षेत्र के विकास कार्यों कों लेकर कांग्रेस नेता ने लगाए प्रश्न चिन्ह: जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री कुंज बिहारी तिवारी ने देवतालाब विधानसभा क्षेत्र को लेकर कई सारे प्रश्न चिन्ह लगाए हैं. उन्होंने कहा की यहां एक ही पार्टी के कई वर्षों से विधायक है. इसके बावजूद भी शिव की नगरी में अब कोई भी कार्य नहीं हुए हैं. क्षेत्र में एक भी शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया. नल जल जीवन मिशन और मुख्यमंत्री जीवन जल योजना के बाद भी पानी को लेकर क्षेत्र में भीषण संकट है. विधानसभा अध्यक्ष ने जिन जगहों पर भूमि पूजन किया, उसी इलाके अब तक पानी नहीं पहुंच सका. जनता के गले के साथजसाथ पनी के टंकिया तक प्यासी पड़ी हुई है. सड़कों में बड़े पैमाने पर घोटाले हुए है. शिक्षा के क्षेत्र में कोई ठोस कार्य नहीं किए गए.

181 के नाम जनता को प्रताड़ित करती है पुलिस: क्षेत्र में प्रसिद्ध माता अष्टभभुजी का मंदिर और जलप्रपात भी है. इस स्थान पर कई बार बहन बेटियों के साथ क्षेड़खानी हुई. लोगों ने पुलिस चौकी की मांग की, लेकिन वह पूर्ण नहीं हुई. थाने में टीआई के जगह सब इंस्पेक्टर है, तहसील में तहसीलदार नहीं. असपताल में डॉक्टर नहीं, 10 महीने में जनपद के 9 सीईओ बदले गए. जिससे जनता के हित में काम न हो सके. नईगढ़ी में एक भी खेल के मैदान नही है और न ही सीएम राइज स्कूल. क्षेत्र की जनता का भरपूर शोषण हो रहा है यहां पर सीएम हेल्पलाइन 181 के नाम सरकार ने करोड़ों खर्च किए, लेकिन 181 में शिकायत करने पर पुलिस लोगों को प्रताड़ित करती है. क्षेत्र में भ्रष्टाचार शिष्टाचार बना हुआ है. यहां जो भी सड़के बनी है. उससे ज्यादा मजबूत तो मिट्टी की सड़कें है.

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