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तीन पीढ़ियों से सुपारी के खिलौने बना रहा कुंदेर परिवार, कोरोना ने तोड़ी कमर - फीका पड़ा व्यापार

रीवा शहर का कुंदेर परिवार तीन पीढ़ियों से सुपारी से खिलौने बनाने का काम कर रहा है. इनके बनाए सुपारी के खिलौने और मुर्तियों की ख्याति देश के साथ-साथ विदेश में भी है. कोरोना के चलते इनका व्यवसाय ठप हो गया है. ऐसे में उद्योग विभाग के आश्वासन के बाद उनमें कुछ आस जगी है.

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सुपारी के खिलौने

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Published : Sep 17, 2020, 10:39 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 3:08 PM IST

रीवा।आपने सुपारी पान के साथ खाने या भगवान को चढ़ाते हुए देखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि, सुपारी से आकर्षक खिलौने भी बनाए जा सकते हैं. जी हां रीवा में ऐसा काम हो रहा है. जहां तीन पीढ़ियों से सुपारी से खिलौने और भगवान की प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं. इन खिलौनों की मांग इतनी ज्यादा है कि, इन्हें लेने के लिए एडवांस में आर्डर देना पड़ता है. शहर में आने वाले राजनेताओं और अन्य सेलिब्रिटी को अधिकतर सुपारी की कलाकृतियां ही भेंट में दी जाती हैं. प्रसिद्धि इतनी कि, ये खिलौने देश सहित विदेशों तक पहुंच रहे हैं.

तीन पीढ़ियों से सुपारी के खिलौने बना रहा कुंदेर परिवार

शहर में भगवान की पूजा में चढ़ने वाली सुपारी को खिलौनों में ढाला जा रहा है. ये काम जिले का कुंदेर परिवार लगभग तीन पीढ़ियों से कर रहा है. उनके लिए यह भले ही जीवन यापन का एक जरिया हो, लेकिन इससे रीवा की ख्याति जुड़ी हुई है. कुंदेर परिवार के बनाए खिलौने पूरे देश में पसंद किए जाते हैं. यही नहीं, अपनी कलाकृति के कारण सुपाड़ी से खिलौने बनाने वाले दुर्गेश कुंदेर के पिता स्व. राममिलन कुंदेर को राष्ट्रीय सम्मान मिल चुका है, जो दिल्ली में आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में तात्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा द्वारा प्रदान किया गया था. वहीं 2019 में मध्यप्रदेश के कैलेंडर में रीवा जिले के सुपारी के खिलौने बनाने की कला को प्रदर्शित किया गया था.

कैसे हुई शुरुआत
रीवा में सुपारी के खिलौने बनाने की शुरुआत भी बड़ी रोचक है. बताया जाता है कि, कुंदेर परिवार रीवा रियासत में लकड़ी का काम करते थे. एक बार रीवा महाराजा गुलाब सिंह कहीं जा रहे थे, तभी उन्होंने लकड़ी के खराद का काम होते देखा. चूंकि महाराजा पान खाने के शौकीन थे, इसलिए उन्होंने अपने एक आदमी को भेजकर सुपारी छीलने के लिए कहा. इस पर कुंदेर परिवार उन्हें सुपारी छीलकर देने लगा. तभी कुंदेर परिवार के दिमाग में आया, क्यों ना सुपारी की कोई वस्तु बनाई जाए और तब से सुपारी के खिलौने बनाने का सिलसिला शुरू हुआ, जो अब तक चला आ रहा है. अब दुर्गेश कुंदेर अपने परिवार की परंपरा निभा रहे हैं. उन्होंने बताया कि, 1942 में उनके दादा भगवानदीन कुंदेर ने सुपारी का सिंदूरदान बनाकर महाराजा गुलाब सिंह को भेंट किया था. इसके पहले महाराजा के आदेश पर ही राज दरबार के लिए लच्छेदार सुपारी काटी जाती थी. महाराजा को सुपारी की कलाकृति से सुसज्जित वाकिंग स्टिक भी गिफ्ट की गई. जिस पर उनके दादा को 51 रुपए का इनाम दिया गया था.

सुपारी के खिलौनों पर इंदिरा गांधी हुईं फिदा

दुर्गेश कुंदेर ने बताया कि, साल 1968 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रीवा आईं थीं. इस दौरान उन्हें सुपारी से निर्मित कलाकृतियां भेंट की गई थीं. दिल्ली पहुंचने पर उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के पैनल में सुपारी के खिलौने बनाने वाले रामसिया कुंदेर को भी शामिल किया था. इंदिरा गांधी के अलावा जवाहरलाल नेहरू, राजीव गांधी सहित मुख्यमंत्री व अन्य मंत्री सहित कई लोगों को सुपारी से बनी कलाकृतियां भेंट की जा चुकी हैं.

युवा नहीं ले रहे रुचि
महाराजा के जमाने से शुरु काम आज तक बदस्तूर जारी है. कुंदेर परिवार अपने पुश्तैनी मकान में ही खिलौने बनाने का काम कर रहा है. समय के साथ बाजार की मांग के अनुसार खिलौने बनाए जाने लगे हैं. कलाकारों द्वारा कंगारू सेट, टी सेट, महिलाओं के गहने, लैंप, ताजमहल, मंदिर सहित कई वस्तुएं बनाई गईं, लेकिन गणेश प्रतिमा सबसे अधिक लोकप्रिय हो रही है. जो देश के दूसरे राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी भेजे जाते हैं. लेकिन अब अगली पीढ़ी का रुझान इस ओर कम होने लगा है. कुंदेर परिवार का कहना है की, उन्होंने यह काम अपने पूर्वजों से सीखा है, लेकिन आगे की पीढ़ी इस काम में रुचि नहीं ले रही है.

कोरोना के कारण फीका पड़ा व्यापार
कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन ने कलाकारों की कमर ही तोड़ दी है. अब खिलौनों का बनना और बिकना ना के बराबर हो गया है. जिससे कलाकारों के परिवार के जीविकोपार्जन में भी काफी दिक्कतें सामने आ रही हैं. हालांकि लॉकडाउन खुलने के बाद जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खिलौना उद्योग लगाने का फैसला लिया है, तब से परिवार के लोग उत्साहित नजर आ रहे हैं. वहीं उद्योग विभाग का अमला भी उनके घर पहुंचा है और उन्हें हर संभव मदद दिलाने का आश्वासन दिया है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 3:08 PM IST

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