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चार शताब्दी से इस सिंहासन पर नहीं बैठा कोई राजा-महाराजा, ये है वजह - रीवा के राजा करते है सिंहासन की पूजा

रीवा रियासत में दशहरा के दिन राजगद्दी पर विराजमान भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. रीवा रियासत में 400 साल से ये पंरपरा चली आ रही है. इस रियासत का एक भी राजा इस गद्दी पर नहीं बैठा है.

सिंहासन का पूजा करता राजपरिवार

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Published : Oct 8, 2019, 8:54 PM IST

रीवा। जिस सत्ता की चाहत में पुत्र-पिता, भाई-भाई की हत्या कर देते थे. रियासत के लिए अपने भी बगवात कर जाते थे, लेकिन रीवा रियासत एक ऐसी रियासत थी, जहां के महाराज गद्दी पर बैठने की इच्छा नहीं रखते थे क्योंकि इस राज गद्दी को भगवान का आसन माना जाता है.

रीवा में ये परंपरा आज भी कायम है, जहां राजगद्दी पर महाराजा नहीं बैठते हैं, बल्कि राजाधिराज भगवान विष्णु विराजते हैं. वहीं हर साल दशहरे के दिन भगवान के सिंहासन की पूजा की जाती है. उसके बाद ही कोई काम शुरु किया जाता है.

सिंहासन का पूजा करता राजपरिवार

रीवा रियासत के 400 साल के इतिहास में कोई महाराजा राज गद्दी पर नहीं बैठे. इस राजगद्दी पर भगवान विष्णु को बैठाया गया क्योंकि रीवा रियासत के राजा-महाराजाओं का मानना है कि भगवान के ऊपर कोई नहीं होता है. रीवा रियासत के महाराज पुष्पराज सिंह सालों से चली आ रही इस परंपरा को आज भी कायम रखे हुए हैं.

हर साल दशहरा के दिन राजगद्दी पर विराजित भगवान की पूजा की जाती है, जो इस बार भी की गई. गद्दी पूजा के बाद महाराज के द्वारा नीलकंठ छोड़ा गया क्योंकि ये बहुत शुभ माना जाता है.

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