रीवा। दिव्यांगता को हमारे समाज में एक कलंक की तरह देखा जाता था. दिव्यांगों को समाज में मान सम्मान दिलाने के लिए सरकार कई तरह की योजना चलाने का दावा करती है ,लेकिन इसका लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा. जिले के मऊगंज क्षेत्र अंतर्गत हरजई मुड़हान गांव में रहने वाले कृष्ण कुमार केवट दिव्यांग हैं, पर उनके हौसले बुलंद हैं. वह अपने हाथों से काम करने में असमर्थ है, जिसके चलते उन्हें कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इन सभी चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने अपने पैरों को ही हथियार बनाया, और अपने पैरों में कलम थामी, कृष्ण कुमार केवट ने 12वीं की परीक्षा में 82 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे. जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद किया था, और कृत्रिम हाथ लगाने का वादा किया था. लेकिन मुख्यमंत्री के वादे के बावजूद आज भी वह दिव्यांग सुविधाओं का मोहताज है. शासन और प्रशासन की ओर से भी अब तक उसे किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं की गई है.
शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम लोगों को समाज में सम्मानित स्थान और आत्मनिर्भर भविष्य देने के उद्देश्य से हर साल दुनिया भर में 3 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय विश्व विकलांग दिवस मनाया जाता है. दिव्यांगों के लिए शासन और प्रशासन के द्वारा भी कई तहर की कोशिशें की जा रही हैं. बावजूद रीवा जिले के मऊगंज जनपद पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत हरजई मुड़हान गांव के रहने वाले कृष्ण कुमार केवट प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं.
सीएम के वादे की अधिकारियों ने की अनदेखी
कृष्ण कुमार केवट ने साल 2019-20 की परीक्षा में कला संकाय के कक्षा 12वीं विषय में 82 प्रतिशत अंक अर्जित किए थे और रीवा जिले सहित प्रदेश का नाम रोशन किया था. जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में आयोजित लैपटॉप वितरण कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उसके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद करते हुए उसे कृत्रिम हाथ लगाने का वादा किया था. वहीं सीएम शिवराज ने कमिश्नर रीवा को निर्देशित करते हुए कृष्ण कुमार को प्रशासनिक सुविधाएं दिए जाने का आश्वासन दिया था. मगर मुख्यमंत्री के वादे के बाद जैसे मानों प्रशासन ने इस दिव्यांग बालक को भुला दिया हो, और उसकी सफलता को कागज तक समेट कर रख दिया हो. कृष्ण कुमार की मानें तो आज भी वह प्रशासन की सुविधाओं से वंचित है. उसके घर वालों को ना तो प्रधानमंत्री आवास की सहायता मिल सकी और न ही उसके पढ़ाई का खर्च उठाने वाले वादे का कोई भरोसा मिल सका.