रीवा। जिले के शासकीय अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं देने वाली 108 एंबुलेंस वाहन के पहिए आज कुछ घंटों के लिए थम गए. जिसके बाद मरीज परेशान हुऐ तो फिर बाद में प्रशासनिक समझाइश के बाद सेवाओं को शुरू किया गया है. बताया जा रहा है अस्पतालों में चल रही प्राइवेट एंबुलेंस सेवाओं की मनमानी के चलते शासकीय एंबुलेंस चालकों के द्वारा विरोध जाहिर करते हुए त्वरित निराकरण के लिए कलेक्टर को शिकायती पत्र सौंपा गया है. जिसके लिए जिले में संचालित तकरीबन आधा सैकड़ा शासकीय एंबुलेंस वाहन लेकर सभी चालकों ने विरोध स्वरूप कलेक्ट्रेट कार्यालय का घेराव भी किया है. (know what was the reason) (Driver with ambulance reached collectorate office)
रीवा में कुछ समय के लिए थम गए 108 एंबुलेंस के पहिए, जाने क्या थी इसकी वजह - जाने क्या थी इसकी वजह
जीवनरक्षक वाहन जिसे एंबुलेंस कहा जाता है, के चालकों ने बुधवार को रीवा में परेशान होकर कुछ समय के लिए उसके पहिये रोक दिए थे. इसकी वजह थी प्राइवेट एंबुलेंस चालक. वह बीमार मरीजों को ले जाने के लिए सरकारी 108 वाहन के चालकों से मारपीट तक कर देते थे. जिसको लेकर आज सरकारी वाहनों के चालकों ने अपनी एंबुलेंस के साथ कलेक्ट्रेट कार्यालय का घेराव किया और वहां उन्हें शिकायती पत्र भी सौंपा. इस दौरान 108 की सेवा काफी समय तक बंद रही. बाद में अधिकारियों के समझाने पर सरकारी एंबुलेंस चालक काम पर लौट गए. (108 ambulance wheels stopped in rewa)
एंबुलेंस समेत चालक पहुंचे कलेक्ट्रेट कार्यालयःदरअसल रीवा के संजय गांधी अस्पताल में तैनात शासकीय एंबुलेंस वाहन चालकों के साथ अस्पताल में ही तैनात प्राइवेट एंबुलेंस वाहन चालकों के द्वारा मारपीट की घटना को अंजाम दिए जाने का मामला प्रकाश में आया है. जिससे नाराज शासकीय एंबुलेंस वाहन चालकों अपने वाहन लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय का घेराव करने पहुंचे थे. उन्होंने वहां कलेक्टर के नाम शिकायती पत्र भी सौंपा है. इस दौरान एंबुलेंस चालकों के विरोध प्रदर्शन के कारण कई घंटों तक जीवन रक्षक कही जाने वाली 108 एंबुलेंस सेवाएं बंद रहीं. मरीजो को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ा. प्रशासनिक समझाइश पर उनका गुस्सा शांत हुआ और वह दोबारा काम पर लौटे. (Driver with ambulance reached collectorate office)
प्राइवेट एंबुलेस चालकों से थे परेशानः अस्पताल में तैनात प्राइवेट एंबुलेंस वाहन चालकों के द्वारा मनमानी की जाती है. अपने पैसे बनाने के लिए जबरन मरीजों को परेशान किया जाता है. जिसकी वजह से शासकीय एंबुलेंस वाहन को मरीज नहीं मिल पाते और अगर कोई मरीज शासकीय एंबुलेंस वाहन में बैठता भी है तो प्राइवेट एंबुलेंस वाहन चालकों के द्वारा शासकीय एंबुलेंस वाहन चालकों के साथ मारपीट की घटना को अंजाम दिया जाता है. सरकारी एंबुलेंस वाहन चालकों का कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का त्वरित निदान नहीं किया गया तो वह आने वाले समय में हड़ताल पर चले जाएंगे. हालांकि आज प्रशासन प्रशासन ने उन्हें समझा-बुझाकर उन्हें काम पर वापस भेज दिया. (were upset with private ambulance drivers)