रतलाम।कोरोना के इस संक्रमण काल में जहां कुछ लोग आपदा को अवसर में बदल रहे हैं. तो वहीं कुछ सेवाभावी ऐसे भी हैं, जो अपनी जान की परवाह किए बिना अपना फर्ज निभा रहे हैं, रतलाम से भी कोरोना काल की कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आई है. जहां एक शख्स ने अपने दम पर कई कोरोना मरीजों को नई जिंदगी दे रहा है.
कोरोना मरीजों के लिए यह शख्स कैसे बना देवदूत, मिलिए रतलाम के इंजीनियर कोकानी से कोरोना के इस संकटकाल में देश एक कोने-कोने से मानवता की कई कहानियां सामने आई है. लेकिन रतलाम से जो तस्वीर निकलकर सामने आई है, वो वाकई इस सेवाकाल में बेमिसाल है. यहां एक शख्स अपनी जान की परवाह किए बिना, बिना पीपीई किट के कोरोना मरीजों के बीच जाकर, उनको मोटिवेट कर मरीजों का डर दूर कर रहा है. जिसकी बदौलत रतलाम मेडिकल कॉलेज से एक हजार से ज्यादा मरीज, ठीक होकर अपने घर-परिवार में वापस लौट चुके हैं.
रतलाम के गोविंद कोकानी
गोविंद कोकाणी हर दिन शाम 4 बजे से रात 11 बजे तक मेडिकल कॉलेज के सभी वार्डो में घूम-घूमकर कोरोना के हर एक रोगी से मुलाकात कर उसे मोटिवेट करते हैं. वीडियो कॉल कर रोगियों के परिजनों से उनकी बात करवाते हैं. ताकि रोगी का मनोबल बना रहे, इस मोटिवेशन थेरेपी की बदौलत अब तक हजारों की संख्या में मरीज ठीक होकर अपने घर पहुंच चुके हैं. मेडिकल वार्डो में भी आलम ये है की पेशेंट अपने इस मोटिवेटर का सुबह से ही इंतजार करते हैं. कि कब वे आएंगे और उनका डर दूर करेंगे, ताकि वे स्वस्थ होकर अपने घर लौट सके, कई बार तो देरी से आने पर मरीज उनसे रूठ भी जाते हैं.
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पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर है गोविंद कोकानी
गोविंद काकानी जो पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं, लेकिन नि:स्वार्थ भाव से सेवा करना ही उनकी जिंदगी का मकसद है. गोविन्द पूरे साल, लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करते है. सड़कों पर घूम रहे मानसिक विक्षिप्तों का इलाज कर उन्हें उनके परिजनों से मिलवाते हैं. लेकिन कोरोना इस संकटकाल में तो वे एक कदम आगे बढ़कर करना पीड़ितों की मदद में जुटे हैं. गोविन्द काकानी फोन पर भी कोरोना पेशेंट्स को लगातार मोटिवेट कर रहे हैं. 24 घंटे उनके फ़ोन पर मदद के लिए कॉल आते हैं. उनके इसी समर्पण भाव से कोरोना पेशेंट और उनके परिजन उन्हें देवदूत भी कह रहे हैं.