रतलाम। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज के दिन भक्त श्रीकृष्ण को बाल रुप में पूजते है. कहा जाता है कि, भगवान श्रीकृष्ण के हर रूप में उनकी अद्भुत लीलाएं हैं. श्रीकृष्ण की अद्भुत लीलाओं की हजारों किवदंतियां पौराणिक कथाओं और पुस्तकों में पढ़ने-सुनने को मिलती हैं. रतलाम में भी एक ऐसा ही एक भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है, जहां श्रीकृष्ण द्वारकाधीश के रुप में विराजमान हैं, उनकी लीलाओं के कई किस्से सुनने को मिलते हैं.
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स्थापना के बाद गायब हो गई थी मूर्ति
रतलाम के सर्राफा बाजार स्थित सराफा गली में पालीवाल परिवार द्वारा स्थापित 300 साल पुराना द्वारकाधीश मंदिर है. जहां भगवान श्री कृष्ण की चमत्कारी किस्से सुनने को मिलते है. द्वारकाधीश मंदिर की स्थापना करीब 300 वर्ष पूर्व काशीराम पालीवाल ने की थी. वर्तमान में मंदिर की देखरेख करने वाली कांता पालीवाल बताती है कि, मंदिर में स्थापना के लिए भगवान द्वारकाधीश की मूर्ति एक संत से लाई गई थी. मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा किए जाने के बाद अचानक मूर्ति गायब हो गई और उसी संत के पास वापस चली गई, जिनसें मूर्ति लाई गई थी. भगवान को मंदिर में ही रोकने के लिए सोने की अभिमंत्रित कील को मूर्ति के पैरों में लगाया गया था. जिसके बाद से भगवान द्वारकाधीश कि यह चमत्कारिक मूर्ति इसी मंदिर में मौजूद है. यही नहीं भगवान द्वारकाधीश से जुड़ी हुई कई किंवदंतियां और किस्से श्रद्धालु यहां सुनाते हैं.