रतलाम। शहर के प्राचीन जैन तीर्थ बिबड़ोद में हर साल की तरह इस साल भी मेले का आयोजन किया गया. मेले का खास आकर्षण बैलगाड़ी और लकड़ी के झूले रहे, जो सालों से यहां की परम्परा है. आधुनिक युग में जहां मेले और बैलगाड़ी अपना अस्तित्व खो रहे हैं, वहीं शहर की युवा पीढ़ी बैलगाड़ी में सफर कर बिबड़ोद मेले में पहुंच कर परंपरागत झूलो का आनंद ले रही हैं. हर साल पौष मास की अमावस्या के दिन इस मेले का आयोजन किया जाता है, जहां शहर के लोग बैल गाड़ियों में सवार होकर मेले में पहुंचते हैं.
बिबड़ोद मेले में बैलगाड़ी पर सवार होकर पहुंचे लोग, लकड़ी के झूले भी बने आकर्षण का केंद्र - bibrod fair
रतलाम के प्रचीन जैन तीर्थ बिबड़ोद में मेले का आयोजन किया गया. मेले में बैलगाड़ी और लकड़ी के झूले आकर्षण का केंद्र बने रहे. मेले में दूर-दूर से लोग पहुंचे थे.
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बैलगाड़ी में सवार होकर मेले पहुंचे लोग
बैलगाड़ी में सवार होकर मेले पहुंचे लोग
ग्रामीण क्षेत्र से भी विलुप्त हो रहे बैल और बैलगाड़ी के दर्शन इस दिन रतलाम में हो जाते हैं. बैलगाड़ी की सवारी के लिए युवाओं में खास उत्साह देखने को मिला.आधुनिक युग में इस तरह के आयोजन पुरानी परम्परा को जीवित रखने में सहायक साबित हो रहे हैं.