रतलाम।1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद एक बार फिर गलवान घाटी में भारत और चीन की सेना आमने-सामने है. 1962 में चीन द्वारा धोखेबाजी से किए गए आक्रमण से निपटने के लिए देश की मदद के लिए आम लोगों से लेकर खास लोगों ने अपना योगदान राष्ट्रीय रक्षा कोष को समर्पित किया था. रतलाम के तत्कालीन महाराजा लोकेंद्र सिंह ने भी 1962 की विपदा में भारत सरकार को अपना 5 सीटर विमान और लोकेंद्र पलटन की 200 बंदूकें देश की रक्षा के लिए समर्पित की थी.
महाराजा लोकेंद्र सिंह की पुण्यतिथि
आज महाराजा लोकेंद्र सिंह की पुण्यतिथि है, इस मौके पर उनसे जुड़े राठौर राजवंश के सदस्य धीरेंद्र सिंह और दिग्विजय सिंह ने 1962 के चीन युद्ध के दौरान की यादें और विमान की तस्वीरें साझा कर, महाराजा लोकेंद्र सिंह के राष्ट्र के प्रति समर्पण और देशप्रेम की भावनाओं को एक बार फिर ताजा कर दिया है.
1962 की युद्ध से जुड़ी कहानी
दरअसल गलवान घाटी में 1962 के बाद एक बार फिर भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनातनी का दौर जारी है. ऐसे में 1962 युद्ध से जुड़ी रतलाम के अंतिम महाराज लोकेंद्र सिंह राठौर के देश के प्रति समर्पण का किस्सा सोशल मीडिया और रतलाम के लोगों के बीच सुर्खियों में है. महाराज लोकेंद्र सिंह कुशल पायलट थे और अपने विमान उड़ाने के शौक के लिए उन्होंने नेवियर कंपनी का 5 सीटर विमान खरीदा था. विमान को रतलाम लाने के लिए महाराज लोकेंद्र सिंह ने दोषी गांव स्थित निजी जमीन पर हवाई पट्टी भी बनवाई थी.