रतलाम। जलकुंभी और गंदे नालों की वजह से बदतर हो चुके रतलाम के प्रसिद्ध अमृतसागर तालाब के दिन अब बदलने वाले हैं. झील संरक्षण योजना के अंतर्गत 23 करोड़ की लागत से शहर के इस प्राचीन धरोहर को अब संवारा जाएगा. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 4 फरवरी को अपने रतलाम प्रवास के दौरान करेंगे. इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार से सात करोड़ का अनुदान भी प्राप्त हो चुका है. 2023 तक इस तालाब के सौंदर्यीकरण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा.
अमृतसागर तालाब का सौंदर्यीकरण गंदगी और जलकुंभी से गंदे नाले में तब्दील हो चुका है तालाब
दरअसल धार्मिक महत्व और शहर की प्राचीन धरोहर माने जाने वाले अमृतसागर तालाब की स्थिति जलकुंभी और गंदे नालों के पानी की वजह से खराब हो चुकी है. लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद अमृत सागर तालाब को जलकुंभी और गंदगी से मुक्त नहीं किया जा सका है. करीब 2 दशकों से अधिक समय से रतलाम की प्राचीन धरोहर के लिए स्थानीय निगम परिषद और नेताओं द्वारा प्रयास किए जा रहे थे. वर्ष 2007 में इसके सौंदर्यीकरण के लिए केंद्र को डीपीआर बनाकर भी भेजी गई थी लेकिन नीतिगत कारणों से इस प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिल पाई थी.
जिसके बाद स्थानीय विधायक और निगम परिषद के प्रयासों से केंद्र सरकार की झील संरक्षण योजना के अंतर्गत इस तालाब को निर्मल और स्वच्छ बनाया जाएगा. जिसके लिए 23 करोड रुपए की परियोजना को केंद्र से मंजूरी मिल चुकी है. गौरतलब है कि धार्मिक महत्व के इस प्राचीन तालाब के किनारे पर प्रसिद्ध गढ़ कैलाश मंदिर भी स्थित है. इस परियोजना के अंतर्गत तालाब को गंदगी और जलकुंभी से मुक्त करने के साथ ही इसका सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा, जिससे यह तालाब एक बार फिर शहर का प्रमुख पर्यटन केंद्र बन सकेगा. बहरहाल लंबे इंतजार के बाद ही सही शहर की इस प्राचीन धरोहर की सूची सरकार ने ली है। और केंद्र की झील संरक्षण योजना के अंतर्गत 23 करोड रुपए की लागत से इस तालाब का खोया हुआ गौरव लौटाया जाएगा.