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आवारा कुत्तों की तादाद बढ़ने से बढ़े डॉग बाइटिंग के मामले, नगर निगम के पास नहीं कोई समाधान

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Published : Sep 28, 2020, 10:10 AM IST

रतलाम में आवारा कुत्तों की तादाद बढ़ने से अब डॉग बाइटिंग के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. प्रतिदिन 35 से 40 मरीज कुत्तों के काटने की वजह से जिला अस्पताल में टीका लगवाने और उपचार करवाने पहुंचते हैं. वहीं रहवासियों के लिए भी आवारा कुत्ते मुसीबत बने हुए हैं, लेकिन नगर निगम के पास इसे लेकर कोई व्यवस्था नहीं.

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फाइल फोटो

रतलाम। शहर में आवारा कुत्तों की तादाद बढ़ने से अब डॉग बाइटिंग के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. वहीं नगर निगम प्रशासन ने पिछले 2 सालों में आवारा पशुओं और आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कोई बड़ी मुहिम नहीं चलाई थी, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ. हालांकि डॉग बाइटिंग के लगातार बढ़ रहे मामलों पर आवारा कुत्तों के बधियाकरण करने की योजना के टेंडर निकाले जाने की बात जरूर नगर निगम के अधिकारी कह रहे हैं, लेकिन आवारा पशुओं और कुत्तों की समस्या के समाधान के लिए नगर निगम प्रशासन के पास कोई ठोस कार्य योजना नहीं है.

डॉग बाइटिंग के मामले बढ़े

रहवासियों के लिए मुसीबत बने आवारा कुत्ते

शहर में लगातार बढ़ रही आवारा कुत्तों की संख्या को लेकर रहवासी चिंतित हैं. रहवासी इरफान पठान का कहना है कि उनके इलके में आवारा कुत्तों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि क्षेत्र के लोग उनके भौंकने के कारण रात को सो नहीं पाते हैं. उनका कहना है कि आवारा कुत्ते अब खूंखार हो गए हैं और झुंड में लोगों पर हमला करने लगे हैं. रतलाम शहर में प्रतिदिन 30 से डॉग बाइटिंग के मामले सामने आ रहे हैं. वहीं आवारा कुत्तों के हमले की वजह से पूर्व में कई बच्चों की जान भी चा चुकी है, लेकिन निगम प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

डॉग बाइटिंग के मामले बढ़

जिला अस्पताल के डॉक्टर भरत निनामा के अनुसार प्रतिदिन 35 से 40 मरीज कुत्तों के काटने की वजह से जिला अस्पताल में टीका लगवाने और उपचार करवाने पहुंचते हैं. निगम की उदासीनता का ही नतीजा है कि नगर निगम और जिला अस्पताल परिसरों में भी आवारा कुत्तों का जमघट लगा हुआ है.

एनिमल वेलफेयर ने लगाया आरोप

पिछले 2 वर्षों से आवारा कुत्तों और पशुओं को पकड़ने की कोई बड़ी मुहिम चलाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इस बार में जब अधिकारियों के बात करने की कोशिश की गई तो इस बारे में कैमरे पर चर्चा करने से इंकार कर दिया. जीवदया समिति और एनिमल वेलफेयर संगठनों के सदस्य श्रेणिक जैन का कहना है कि नगर निगम अपना काम ठीक से नहीं करती है और जिम्मेदार जीवदया समिति को ठहराती है. उनका कहना है कि नगर निगम कहती है कि जब भी हम कुत्तों को पकड़ने के लिए मुहिम चलाते हैं, तो जीव दया समिति और एनिमल वेलफेयर से जुड़े लोग आपत्ति दर्ज करवाते हैं, लेकिन जीव दया समिति से जुड़े हुए लोगों कभी आवारा कुत्तों को पकड़ने का विरोध नहीं करती, हम पशु क्रूरता का विरोध करते हैं. श्रेणिक जैन का कहना है कि पशु क्रूरता के बिना भी आवारा कुत्तों और जानवरों को पकड़ा जा सकता है.

निगम की यह है योजना

निगम के जिम्मेदारों के अनुसार आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या की समस्या से निपटने के लिए नगर निगम के पास पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं. निगम ने आवारा कुत्तों के बधियाकरण के लिए जुलवानिया ट्रेचिंग ग्राउंड क्षेत्र में बधियाकरण कक्ष बनवाया की योजान शुरु करने जा रही है, जहां आवारा कुत्तों के बधियाकरण के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

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