रतलाम। मन में जज्बा और हौसले बुलंद हो तो हर राह आसान हो जाती है, इसी पंक्ति को सार्थक बनाया है जिले के शिवगढ़ में पदस्थ एक शिक्षक राजेश परमार ने, जो दृष्टिहीन होने के बावजूद अपने विद्यार्थियों की जिंदगी में शिक्षा की रोशनी फैला रहे हैं.
सालों पहले खो दी थी आखों की रोशनी, अब शिक्षक बनकर छात्रों का जीवन कर रहे हैं रोशन
जिंदगी में अंधेरा होने के बावजूद दूसरों के भविष्य को रोशन करने वाले शिक्षक राजेश परमार जैसे लोग कम ही होते हैं, जो न केवल समाज से अज्ञानता को दूर कर रहे है, बल्कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए भी एक मिसाल पेश कर रहे.
जिले के शिवगढ़ कन्या हाई स्कूल में पदस्थ शिक्षक राजेश परमार समाज के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं. जो दृष्टिहीन होने के बावजूद एक सामान्य शिक्षक की पूरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. राजेश 1995 में पूरी तरह दृष्टिहीन हो गए थे.
बावजूद इसके राजेश ने हिम्मत नहीं हारी और दृष्टिहीन विद्यालयों से अपनी पढ़ाई पूरी की. वर्ष 2003 से वे शिवगढ़ के कन्या हाई स्कूल में पदस्थ हैं. इस स्कूल का रिजल्ट हमेशा शत-प्रतिशत रहा है.
स्कूल की छात्राएं भी मानती है कि उनके शिक्षक राजेश परमार असाधारण प्रतिभा के धनी हैं. छात्राओं का कहना है कि परमार सर को देखकर नहीं लगता, कि वह देख नहीं सकते. वह बड़ी ही आसानी से पढ़ाते हैं.