राजगढ़। राम मंदिर आंदोलन और 6 दिसंबर साल 1992 के दिन राजगढ़ से करीब 700 से ज्यादा कार सेवक अयोध्या पहुंचे. इनमें ज्ञान सिंह गुर्जर और नानू राम गुर्जर भी शामिल थे. दोनों कार सेवक माचलपुर तहसील के लिंबोदा गांव के रहने वाले हैं. इनमें से नानू राम गुर्जर को तो आंदोलन के दौरान गोली भी लगी थी. उस दिन को याद करते हुए दोनों कार सेवकों ने ईटीवी भारत से अपने अनुभव साझा किए.
कार सेवक ज्ञान सिंह गुर्जर बताते हैं कि वे उन दिनों कॉलेज में पढ़ते थे. जिले में राम मंदिर आंदोलन चल रहा है. चूंकि शुरू से उनकी आस्था भगवान राम में रही है. लिहाजा उन्होंने भी सोचा कि इस आंदोलन में हिस्सा लेना चाहिए. इसलिए परिजनों के बिना बताए बलिदानी जत्थे के साथ अयोध्या की तरफ चल दिए. जिसके बाद वे अयोध्या पहुंचे और कार सेवा की. उन्होंने कहा कि वे बहुत भाग्यशाली हैं कि जिस आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया था. आज उनके जीवनकाल में ही उसका उद्देश्य पूरा हो रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन कर रहे हैं.
नानू को लगी थी गोली
वहीं कार सेवक नानू राम गुर्जर ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब वे अयोध्या पहुंचे. तो पुलिस ने उनके जत्थे पर आंसू गैस के गोले और करंट वाला तार छोड़ दिया था. फिर भी कोई नहीं रूका. इसी दौरान पुलिस ने फायरिंग भी कर दी. जिसमें एक गोली उन्हें भी लग गई. जिसके बाद उनके साथी उन्हें वापस भिंड लाए और उनका इलाज हुआ. उन्होंने कहा 5 अगस्त एक ऐतिहासिक तारीख बनने जा रही है. इस दिन राम मंदिर का भूमि पूजन होने वाला है. जो खुशी की बात है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हुआ मंदिर बनने का रास्ता साफ
देश की सबसे बड़ी अदालत ने सबसे बड़े फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना. जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया था.