राजगढ़।हथकरघा वस्त्र और हथकरघा बुनकर भारतीय सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग रहे हैं. भारत में कृषि के बाद हथकरघा एक महत्वपूर्ण लघु उद्योग के रूप में जाना जाता रहा है. देश 7 अगस्त यानि आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मना रहा है. प्रदेश कई जिलों में आज भी ये कला जिंदा है. इन्हीं में से एक स्थान राजगढ़ जिले की सारंगपुर तहसील के पडाना गांव में है.
इस गांव की आबादी करीब 10 हजार है. इसे बुनकरों के गांव के नाम से जाना जाता है. यहां के बने उत्पाद एक समय में विश्व भर में मशहूर थे. बेडशीट से लेकर पिलो कवर, गुलदस्तों का निर्यात स्विट्जरलैंड और जापान तक किया जाता था. लेकिन आधुनिकता की दौड़ में ये लघु उद्योग पिछड़ गए और अब केवल देश के कुछ महानगरों तक ही सिमट गए हैं.