राजगढ़। पहले ब्राह्मण, फिर बनिया और अभी क्षत्रिय समाज के विधायक, बस इतना ही इतिहास है इस सीट का, क्योंकि 2008 में हुए परसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस सीट पर सामान्य वर्ग का वर्चस्व कायम है. फर्क है तो सिर्फ इतना कि दो बार भारतीय जनता पार्टी ने और एक बार कांग्रेस ने यह सीट जीती. पहली बार यानी वर्ष 2008 में हिंदु राजनीति और शिवसेना से भाजपा में आए मोहन शर्मा ने चुनाव लड़ा. सामने थे कांग्रेस के उम्मीदवार गिरीश भंडारी. तब 158780 मतदाताओं में से 122889 ने वोटिंग करी और इसमें से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मोहन शर्मा को कुल 56147 वोट मिले. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार गिरीश भंडारी को 52984 वोट मिले और वे महज 3163 वोटों से हार गए.
2013 में कांग्रेस तो 18 में जीती बीजेपी:अब दूसरे चुनाव की बात करें तो 2013 में एक बाद फिर नरसिंहगढ़ विधानसभा से भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने पुराने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा, लेकिन सिटिंग एमएलए होने के बाद भी कांग्रेस के गिरीश भंडारी को 85847 वोट मिले, जबकि मोहन शर्मा को 62829 वोट ही प्राप्त हुए. उन्हें 23018 वोट से करारी हार का सामना करना पड़ा. यह बता दें कि इस बार मतदाताओं की संख्या बढ़कर 195145 हो गई थी. जिसमें से 156463 ने वोटिंग की. भाजपा ने 2013 की हार से सबक लेते हुए 2018 में अपना चेहरा बदल दिया और मोहन शर्मा की बजाय राज्यवर्धन सिंह को टिकट दिया. जबकि कांग्रेस ने एक बार फिर गिरीश भंडारी पर भरोसा किया, लेकिन भाजपा की रणनीति काम आई. इस बार 171897 वोट पड़े. इसमें से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राज्यवर्धन सिंह को कुल 85335 वोट मिले और विधायक निर्वाचित हुए. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार गिरीश भंडारी 75801 वोट से संतुष्ट होना पड़ा और उन्हें 9534 वोटों से हार का सामना करना पड़ा.