राजगढ़। प्रदेश पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया किसी भी तरह केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी को दूर करना चाहते थे. दरअसल, नगरपालिका अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा सुनीता रविन्द्र रघुवंशी को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया था, लेकिन भाजपा नेता सविता अरविंद गुप्ता ने पार्टी के मैंडेट के खिलाफ चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. BJP प्रत्याशी की हार के बाद गुटबाज़ी से दुखी सिंधिया ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए नवनिर्वाचित अध्यक्ष से दूरी बना ली थी.
Guna MP News BJP के खिलाफ निर्दलीय जीते नगरपालिका अध्यक्ष को मंत्री सिसोदिया ने सिंधिया से मिलवाया - गुना एमपी की राजनीति
राजनीति में कोई किसी का दोस्त नहीं होता और न ही दुश्मन. गुना में भी कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिली. भाजपा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़कर नगरपालिका अध्यक्ष बनी सविता अरविंद गुप्ता ने भी आखिरकार नाराज नेताओं को मना ही लिया. केद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर कई ऐसे भाजपा नेता थे, जो निर्दलीय प्रत्याशी सविता अरविंद गुप्ता की जीत से खुश नहीं थे. प्रदेश के पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने केंद्रीय मंत्री सिंधिया के गुना पहुंचते ही नगरपालिका अध्यक्ष के पति अरविंद गुप्ता को उनसे मिलवाया. Minister Sisodia introduced Scindia, Municipal chairman Meet Scindia, Independent won against BJP
सिंधिया को मनाने की कवायद सफल :वहीं गुना में बाढ़ पीड़ितों से मिलने पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया को मनाने के लिए नगरपालिका अध्यक्ष सविता गुप्ता और उनके पति एरोड्रम पर पहुंच गए. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नगरपालिका अध्यक्ष सविता अरविंद गुप्ता से मुलाकात की. इसके बाद जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट के वाहन में बैठकर सिंधिया के काफिले में जुड़ गईं. अध्यक्ष बनने के बाद अरविंद गुप्ता लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया को मनाने में जुटे थे. क्योंकि यदि गुना में नगरपालिका का संचालन प्रभावी तौर पर करना है तो सिंधिया का समर्थन बेहद जरूरी माना जाता है. शिवराज कैबिनेट के पंचायत मंत्री महेंद्र सिसोदिया का BJP की हार का जश्न मनाते हुए वीडियो वायरल, जानें सिंधिया ने क्या किया
गुटबाजी में हारा बीजेपी कैंडीडेट :पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया भी इस बात को बखूबी जानते हैं इसलिए वे भी चाहते हैं कि सिंधिया का समर्थन नवनिर्वाचित नगरपालिका अध्यक्ष को मिल जाए. हालांकि सिंधिया इस बात को जानते हैं कि भाजपा में अधिकृत प्रत्याशी को अंदरूनी गुटबाज़ी के चलते हार का सामना करना पड़ा था. यदि निर्दलीय प्रत्याशी को अपना लिया तो पार्टी के अंदर विद्रोह की स्थिति पैदा हो जाएगी.