राजगढ़। राजगढ़ कई संतों की तपोभूमि रही है. यहां अनेक संतों ने तपस्या की और अपनी ख्याति पूरे विश्व में फैला दी. ऐसे ही एक संत थे जमनादास जी महाराज, जिन्होंने अपने पंचतत्व में विलीन होने की तारीख का एलान 6 माह पहले ही कर दिया और भक्तों से कहा था कि वे चैत्र सुधि ग्यारस को ब्रह्मलीन समाधि लेंगे.
जमनादास जी महाराज ने की थी पंचतत्व में विलीन होने की घोषणा, भक्तों को बच्चों की तरह करते थे प्रेम - choral
100 साल पहले राजगढ़ के कागशीला नामक स्थान पर अवतरित हुए माखनदास बाबा के भक्त महान संत जमनादास जी महाराज ने अपना जीवन जनकल्याण के लिए समर्पित कर दिया और लोगों के बीच हमेशा के लिए अमर हो गए. उन्होंने हमेशा भक्तों को अपने बच्चों की तरह प्रेम किया.
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100 साल पहले राजगढ़ के कागशीला नामक स्थान पर अवतरित हुए माखनदास बाबा के भक्त महान संत जमनादास जी महाराज ने अपना जीवन जनकल्याण के लिए समर्पित कर दिया और लोगों के बीच हमेशा के लिए अमर हो गए. उन्होंने हमेशा भक्तों को अपने बच्चों की तरह प्रेम किया.
मुख्य पुजारी ने बताया कि एक बार कुछ शिक्षक भक्त उनके दर्शन करने के लिए आये हुए थे, तभी उनके स्कूल में कुछ अधिकारी निरीक्षण के लिए आए. तब अपने भक्तों की नौकरी और साख बचाने के लिए वे खुद चमत्कारी रुप से भक्तों के स्थान पर स्कूल में उपस्थित हुए और अधिकारियों के सभी प्रश्नों के उत्तर भी दिये. जब भक्तों को उनके इस चमत्कार के बारे में पता चला तो उनके गुरु पर उनकी आस्था और बढ़ गई. इसके अलावा भी बाबा के चमत्कार से कई लोगों की मनोकामना पूरी होने के किस्से प्रचलित हैं.