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दिग्विजय के गढ़ में मुश्किल में बीजेपी, रोडमल नागर के सहारे नैया होगी पार या मिलेगी हार?

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Published : Apr 21, 2019, 10:51 AM IST

विधानसभा सीटें के समीकरण राजगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस को मजबूत स्थिति में दिखा रहे हैं. ऊपर से बीजेपी उम्मीदवार रोडमल नागर का पार्टी नेताओं ने विरोध भी किया है. जबकि कांग्रेस ने यहां से मौना सुस्तानी को मैदान में उतारा है. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला रोचक माना जा रहा है.

दिग्विजय सिंह, पूर्व सीएम , एमपी

राजगढ़। राजगढ़ लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी-कांग्रेस ने नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. जिससे यहां मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है. हाल ही में हुये विधानसभा चुनाव से राजगढ़ लोकसभा सीट के सियासी समीकरण बदल चुके हैं. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में आठ सीटों में से पांच, जबकि बीजेपी ने दो और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने कब्जा जमाया था. इस लिहाज से कांग्रेस यहां मजबूत स्थिति में दिख रही है.

साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आठ सीटों में से 6 जबकि कांग्रेस के हाथ सिर्फ दो सीटें ही लगी थीं. बात अगर पिछले लोकसभा चुनाव 2014 की करें तो बीजेपी के रोडमल नागर ने कांग्रेस के नारायण सिंह आमलाबे को शिकस्त दी थी. रोडमल नागर को 5,96, 727 वोट मिल थे, जबकि कांग्रेस के नारायण सिंह को 3,67, 990 लोगों ने ही वोट दिया था. विधानसभा क्षेत्रों के समीकरणों पर नजर दौड़ाएं तो आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस, बीजेपी से मजूबत स्थिति में नजर आती है. राजगढ़ लोकसभा सीट के तहत आने वाली विधानसभा सीटों के सियासी समीकरण भी रोचक हैं.

नरसिंहगढ़ लोकसभा सीट-
नरसिंहगढ़ विधानसभा राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की एक ऐसी सीट, जिस पर 2013 के चुनाव में कांग्रेस के गिरीश भंडारी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन 2018 में हुये चुनाव में यहां बीजेपी ने वापसी की और राज्यवर्धन सिंह यहां से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे हैं, उन्होंने कांग्रेस के गिरीश भंडारी को 9534 मतो से हराया था.

दिग्विजय के गढ़ में मुश्किल में बीजेपी


ब्यावरा विधानसभा सीट-
ब्यावरा विधानसभा सीट राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की एक ऐसी सीट है, जहां पर पिछले चार विधानसभा चुनाव में कभी भी कोई पार्टी दोबारा नहीं जीती है. यहां की जनता ने हर चुनाव में अपना विधायक बदला है. 2013 के भाजपा विधायक नारायण सिंह पंवार कांग्रेस के गोवर्धन सिंह दांगी से पराजित हुए. 2018 में इस सीट पर भाजपा को हार मिली. क्योंकि 2018 में इस सीट पर जीत का अंतर नोटा में प्राप्त वोटों से कम था. यहां पर जीत का अंतर 826 वोटो का था, जबकि नोटा में 1481 पड़े थे. इस सीट पर दांगी और सोंधिया समाज ही निर्णायक भूमिका में रहते हैं.


राजगढ़ विधानसभा सीट-
राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के मतदाता पिछले चार चुनावों से अपना विधायक बदले आये हैं. 2003 में यहां पर भाजपा के हरिचरण तिवारी जीते थे, जबकि 2008 में कांग्रेस के हेमराज कल्पोनी ने यहां जीत दर्ज की. 2013 यहां के लोगों ने बीजेपी के अमर सिंह को अपना विधायक चुना. साल 2018 के चुनाव में फिर से बदलाव देखने को मिला और यहां की जनता ने राजगढ़ सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी. इस बार यहां से कांग्रेस के बापू सिंह तंवर ने भाजपा के अमर सिंह यादव को 31183 वोटों से हराया है.


खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र-
खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र, राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की ऐसी विधानसभा सीट है जो कांग्रेस का गढ़ रही है. कांग्रेस कांग्रेस ने 2003 और 2008 के चुनाव में जीत दर्ज की. वर्तमान विधायक प्रियव्रत सिंह खींची यहां विजई हुए थे, साल 2013 में बीजेपी ने यहां सेंध लगाने में कामयाब हुई और बीजेपी के हजारीलाल दांगी यहां से विधानसभा पहुंचे. लेकिन 2018 में वापसी करते हुये कांग्रेस ने दोबार इस सीट पर कब्जा जमा लिया. यहां से वर्तमान उर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने भाजपा के हजारीलाल दांगी को 29756 मतों से मात दी थी.


सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र-
सारंगपुर विधानसभा सीट राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की एक मात्र आरक्षित सीट है. यहां साल 2003 के बाद से हमेशा से भाजपा का कब्जा रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी ने जीत का चौका लगाया है. बीजेपी के कुंवर कोठार लगातार दूसरी बार यहां से विधायक चुने गए हैं. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश मालवीय को 4381 मतो से हराया है.


सुसनेर विधानसभा सीट-
सुसनेर विधानसभा क्षेत्र वैसे तो आगर-मालवा जिले की सीट है, जो राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. इस सीट पर साल 2003 के बाद से ही बीजेपी का कब्जा रहा है लेकिन साल 2018 में हुये विधानसभा चुनाव में यहां की जनता का बीजेपी-कांग्रेस दोनों से मोहभंग हो गया और यहां के लोगों ने निर्दलीय को अपना विधायक चुना. विक्रम सिंह राणा गुड्डु यहां से विधानसभा पहुंचे हैं. उन्होंने कांग्रेस के महेंद्र भैरू सिंह को 27062 को हराया है.


राघौगढ़ विधानसभा सीट-
राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. इस सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का असर माना जाता है. यह सीट अधिकतम बार राघोगढ़ राजघराने के पास रही है. इसी सीट से दिग्विजय सिंह विजयी होकर मुख्यमंत्री बने थे. अब उनके पुत्र जयवर्धन सिंह यहां से विजई होकर वर्तमान सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री हैं. लगातार दूसरी बार जयवर्धन सिंह को यहां की जनता ने विधायक चुनकर विधानसभा भेजा है. जयवर्धन सिंह ने बीजेपी के भूपेंद्र सिंह को 46697 भारी मतों से हराया है.


चाचौड़ा विधानसभा सीट-
चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र वैसे तो गुना जिले में आता है. लेकिन इसकी गिनती राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में होती है. यहां बीजेपी की ममता मीणा ने 2003 से लगातार तीन चुनावों में जीत दर्ज की लेकिन साल 2018 में हुये चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने ममता मीणा हराकर ये सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी. लक्ष्मण सिंह राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद बनकर दिल्ली पहुंच चुके हैं.


विधानसभा सीटें के समीकरण राजगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस को मजबूत स्थिति में दिखा रहे हैं. ऊपर से बीजेपी उम्मीदवार रोडमल नागर का पार्टी नेताओं ने विरोध भी किया है. जबकि कांग्रेस ने यहां से मौना सुस्तानी को मैदान में उतारा है. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला रोचक माना जा रहा है.

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