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मोदी लहर में मिली जीत को बरकरार रख पाएगी बीजेपी, या दिग्गी के गढ़ में कांग्रेस करेगी वापसी - बीजेपी

राजगढ़ लोकसभा सीट कांग्रेस के दबदबे वाली सीट मानी जाती है, यहां दिग्विजय सिंह के परिवार का सीधी दखल माना जाता है. कांग्रेस इस बार भी यहां दिग्विजय सिंह के करीबी मोना सुस्तानी को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी की तरफ से वर्तमान सांसद रोडमल नागर फिर मैदान में हैं.

बीजेपी प्रत्याशी रोडमल नागर, कांग्रेस प्रत्याशी मोना सुस्तानी

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Published : May 11, 2019, 12:45 AM IST

राजगढ़।राजस्थान की सीमा से लगती मध्यप्रदेश की राजगढ़ संसदीय सीट पर सबकी निगाहें टिकी रहती हैं क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा माना जाता है, जबकि यहां राघौगढ़ रियासत यानि दिग्विजय सिंह के परिवार का सीधा दखल रहता है. राजगढ़ में इस बार बीजेपी सांसद रोडमल नागर का मुकाबला कांग्रेस की महिला प्रत्याशी मोना सुस्तानी से है.

राजगढ़ सीट पर अब तक 12 आम चुनाव हुए हैं, जिसमें कांग्रेस ने जीत का छक्का लगाया और बीजेपी जीत की हैट्रिक तक ही पहुंच पायी, जबकि एक-एक बार लोकदल, जनसंघ और निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत का परचम लहराया था. खास बात ये है कि दिग्विजय सिंह इस सीट से दो बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं, जबकि पांच बार उनके भाई लक्ष्मण सिंह भी यहां से चुनाव जीत चुके हैं. हालांकि, दोनों भाइयों को यहां से हार का सामना भी करना पड़ा है.

राजगढ़ में बीजेपी की जीत रहेगी बरकरार या कांग्रेस की होगी वापसी

इस बार राजगढ़ संसदीय क्षेत्र के 16 लाख 81 हजार 353 मतदाता वोट की चोट करेंगे, जिनमें 8 लाख 74 हजार 258 पुरुष, 8 लाख 7 हजार 64 महिला मतदाता शामिल हैं, जबकि थर्ड जेंडर की संख्या 31 है. इस क्षेत्र में कुल 2 हजार 231 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें 322 को अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा गया है.

गुना, राजगढ़ और आगर-मालवा जिले की विधानसभा सीटों से मिलकर बनी राजगढ़ लोकसभा सीट में राजगढ़, ब्यावरा, नरसिंहगढ़, खिलचीपुर, सारंगपुर, सुसनेर, चाचौड़ा और राघौगढ़ विधानसभा सीटें आती हैं. विधानसभा चुनाव में इन आठ सीटों में से पांच पर कांग्रेस को जीत मिली थी तो 2 सीटें बीजेपी के खाते में गई थी, जबकि एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. जिससे इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा नजर आता है.

2014 के चुनाव में बीजेपी के रोडमल नागर ने कांग्रेस के नारायण सिंह को हराया था, जबकि कांग्रेस ने इस बार रोडमल नागर के खिलाफ दिग्विजय सिंह की करीबी मोना सुस्तानी को मैदान में उतारा है. शहरी और ग्रामीण आबादी में बंटी इस सीट पर दांगी, सोंधिया और ब्राह्मणों की भूमिका प्रमुख है, लेकिन विधानसभा की अपेक्षा यहां लोकसभा के समीकरण बदल जाते हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि राजगढ़ का मतदाता किसे राजगढ़ की राजगद्दी सौंपता है.

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