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'नतारा- झगड़ा प्रथा मुक्त राजगढ़' बनाने के लिए प्रशासन ने दिया अनोखा आदेश

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Published : Jan 8, 2020, 10:39 AM IST

राजगढ़ जिले में नतारा और झगड़ा प्रथा को खत्म करने के लिए जिला कलेक्टर ने एक अनोखा आदेश जारी किया है. जिसमें जिले के सभी अधिकारियों को आदेश जारी किया गया है कि, आगले दो माह में जिले को 'नतारा- झगड़ा प्रथा मुक्त राजगढ़' बनाना है.

District Collector issued a unique order
जिला कलेक्टर ने एक अनोखा आदेश किया जारी

राजगढ़। राजगढ़ जिले में व्याप्त नतारा और झगड़ा प्रथा को खत्म करने के लिए जिला कलेक्टर ने एक अनोखा आदेश जारी किया है. ये जिला प्रशासन की एक नई पहल है. जिससे जिले में नतारा और झगड़ा प्रथा को समाप्त कर सकें. इसके लिए सभी अधिकारियों से अनुरोध किया गया है कि, इस अभियान को दो माह तक राजगढ़ जिले में चलाया जाए.

जिला कलेक्टर ने एक अनोखा आदेश किया जारी

जिले की सबसे बड़ी कुप्रथा नतारा और झगड़ा प्रथा को खत्म करने के लिए प्रशासन लगातार अनेक तरह के कार्यक्रम चला रहा है, इसी कड़ी में लोगों को जागरुक करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्वाधान पर जिला कलेक्टर ने एक अनोखा आदेश जारी किया है. जिसमें उन्होंने समस्त जिला के वरिष्ठ अधिकारियों सहित अन्य विभागों को आदेश दिया है कि, आगामी दो माह में नातरा- झगड़ा मुक्त राजगढ़ अभियान सघन रुप से चलाया जाए. अभियान के प्रचार- प्रसार के लिए सभी कार्यालय के पत्र में 'नातरा- झगड़ा मुक्त राजगढ़' की सील जिला, ब्लॉक और पंचायत स्तर के कार्यालयों में प्रयोग करना सुनिश्चित किया गया है.

साथ ही प्रत्येक पत्र पर लिखा है कि-
'बेटी बेल नहीं है भाई, इसे बेच नहीं करो कमाई'

'नातरा झगड़ा मुक्त राजगढ़' बनाने की पहल

ये है झगड़ा प्रथा

अगर पति-पत्नि के बीच किसी अनबन के चलते रिश्ता खत्म होता है, तो उसके बाद वर पक्ष द्वारा वधु पक्ष से मोटी रकम की मांग की जाती है. वहीं इस पूरे मामले को निपटाने के लिए समाज के प्रमुख लोगों की पंचायत बैठती है. जिसके बाद पंचायत राशि तय करती है और वधु पक्ष पर यह राशि थोप दी जाती है. जिसे किसी भी कीमत पर चुकाना ही पड़ता है.

क्या है नातरा प्रथा

शादी होने के बाद पति-पत्नी के बीच में अगर अनबन होने से शादि खत्म हो जाती है और उसके बाद लड़की का संबद्ध दूसरे स्थान पर तय कर दिया जाता है, तो उसे नातरा प्रथा की श्रेणी में रखा जाता है. नातरा के नाम पर लड़की को जब दूसरे स्थान पर भेजा जाता है तो उसके परिजनों से पहले पति का परिवार राशि की मांग करता है, जिसे वधु पक्ष को चुकाना ही पड़ता है. यह राशि 5 लाख रुपए से लेकर 25-30 लाख तक तय होती है. इस पूरे प्रकरण में लड़की की मर्जी कोई मायने नहीं रखती.

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