रायसेन। लॉकडाउन का असर पूरे देश में सामान्य जनजीवन पर तो पड़ ही रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले गरीब मजदूर इससे प्रभावित हो रहे हैं. रायसेन जिले के सांची विकासखंड के बांसिया गांव के शेरिया समाज के लोग जंगल से लकड़ी बीनकर और उसे बेचकर अपना जीवन यापन करते थे. मगर इस लॉकडाउन में घर से निकलना मुश्किल हो गया है और लकड़ी बिक नहीं पा रही है, जिससे दो वक्त की रोटी मिल पाना भी मुश्किल हो गई है.
लॉकडाउन इफेक्ट: जंगल से लकड़ी बीनकर करते थे गुजारा, अब दो वक्त की रोटी के संकट - bansiya village of raisen
कोरोना वायरस के चलते देश में तीसरी बार लॉकडाउन घोषित किया गया है. लॉकडाउन के कारण रोज कमाकर खाने वाले मजदूरों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. रायसेन के बांसिया गांव के लकड़ी बीनकर उससे बेचने वाले लोगों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट सामने आ गया है.
यहां के गरीब मजदूर बताते हैं कि शासन की तरफ से सिर्फ चावल मिले हैं जिससे पेट भरना मुश्किल है. घर का चूल्हा जलाने के लिए और भी चीजों की जरूरत पड़ती है. बांसिया गांव में रहने वाली राजकुमारी बताती हैं कि हमारा 6 लोगों का परिवार है. हमारी सुध लेने कोई भी नहीं आया है. बस कहां गया है कि घर में रहो भले ही भूखे मर जाओ. हम लकड़ियां बेचकर अपना गुजारा करते थे, अब लकड़ी भी नहीं बिक रही है आखिर चावल से कब तक गुजारा करें.
ऐसे में मजदूर लॉकडाउन के चलते घर से निकल नहीं पा रहे हैं, जिसके चलते इनका कामकाज ठप हो गया है. अब इनके सामने जीवनयापन का भी संकट पैदा हो गया है. रोजाना 100-200 रुपये कमाने वाले इन मजदूरों के पास अपने बच्चों और परिवार को खिलाने के लिए राशन तक नहीं है. इन मजदूरों के पास रोजमर्रा के जरूरी सामान और राशन खरीदने तक को पैसा नहीं है.