मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

तोप की सलामी से रमजान का आगाज, 200 वर्षों से चली आ रही परंपरा - रायसेन में तोप की सलामी

एमपी के रायसेन में 200 वर्षों से रमजान के महीने में सहरी इफ्तार के लिए तोप चलाने की परंपरा चली आ रही है. इस तोप की गूंज 30 गांवों तक सुनाई देती है. यही नहीं रोजा खुलने से दो घंटे पहले ढोल नगाड़े भी बजाए जाते हैं. ताकि लोग तैयारी कर सकें.

ramzaan celebrated with cannon salute
तोप की सलामी से रमजान

By

Published : Apr 13, 2021, 11:05 PM IST

रायसेन। रमजान के महीने में सहरी और इफ्तार के समय की जानकारी देने के लिए जिले में तोप चलाए जाने की परंपरा है. यह परंपरा पिछले करीब 200 साल से निभाई जा रही है. यहां आज भी मुस्लिम समाज के लोग किले की पहाड़ी से चलने वाली तोप की आवाज सुनकर ही रोजे खोलते हैं. नवाबी शासन काल से यह परंपरा चली आ रही है. इस तोप की गूंज करीब 30 गावों तक सुनाई देती है. इस परंपरा को वर्षों से एक ही परिवार चलाता आ रहा है.

30 गांवों तक सुनाई देती है तोप की गूंज.

तोप के लिए प्रशासन जारी करता है लाइसेंस
तोप को चलाने के लिए बाकायदा जिला प्रशासन द्वारा एक माह का लाइसेंस जारी किया जाता है. रमजान की समाप्ति पर ईद के बाद तोप की साफ-सफाई कर इसे सरकारी गोदाम में जमा कर दिया जाता है. तोप चलाने के लिए आधे घंटे पहले तैयारी करना पड़ती है, तब कहीं जाकर समय पर तोप चल पाती है.

सहरी से दो घंटे पहले बजाए जाते हैं नगाड़े
समय की सूचना देने के लिए सहरी से दो घंटा पहले रोजेदारों को जगाने के लिए नगाड़े बजाए जाते हैं. ताकि लोग समय से पहले तैयारी कर सकें. नगाड़े बजाने की परंपरा भी प्राचीन काल से ही चली आ रही है. वंशकार परिवार इस काम को संभाले हुए है. नगाड़े किले की प्राचीर से बजाए जाते हैं. इससे इनकी आवाज मीलों दूर तक सुनाई देती है.

तोप चलाने के लिए मस्जिद से दिया जाता है सिग्नल
तोप चलाने से पहले दोनों वक्त टांके वाली मस्जिद से सिग्नल मिलता है. सिग्नल के रूप में मस्जिद की मीनार पर लाल रंग बल्ब जलाया जाता है. उसके बाद किले की पहाड़ी से तोप चलाई जाती है. ऐसा बताया जाता है कि देश में राजस्थान में ही तोप चलाने की परंपरा है. उसके बाद देश में मध्य प्रदेश का रायसेन दूसरा ऐसा शहर है, जहां तोप चलाकर रमजान माह में सहरी और इफ्तार की सूचना दी जाती है.

200 वर्षों से चली आ रही है परंपरा
मुस्लिम त्योहार कमेटी के अध्यक्ष सैयद फरान अली बताते हैं कि रमजान का त्योहार अमन चैन का त्योहार है. इसमें लोगों की खुशहाली की दुआएं की जाती हैं. उन्होंने बताया कि शहर में तोप की आवाज से मुस्लिम लोगों से अपील कर रोजा इफ्तार की सूचना दी जाती है. तोप को चलाने की परंपरा 200 वर्षों से चली आ रही है. तोप के साथ ढोल नगाड़ों से भी लोगों को जानकारी देने की यह पुरानी परंपरा है. इस साल कोरोना संक्रमण के चलते रमजान का त्योहार आवाम की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मनाया जाएगा. मस्जिदों में चार से पांच लोगों को ही नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है. वहीं लोगों को संक्रमण से बचने की सलाह मस्जिदों पर बैनर पोस्टर लगा कर दी जा रही है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details