रायसेन।रमजान का पाक महीना चल रहा है. जिसमें मुस्लिम समाज के लोग महीने भर रोजे रखकर खुदा की इबादत करते हैं. रमजान में सेहरी और इफ्तार का समय सबसे अहम होता है. आज के आधुनिक दौर में इफ्तार और सेहरी को लेकर अलर्ट करने के लिए लाउडस्पीकर और तरह-तरह के उपकरणों का इस्तेमाल किया जाने लगा है. लेकिन सालों पहले सेहरी और इफ्तार के वक्त को जानने का तरीका अलग और अनोखा था. तोप की आवाज सुनकर लोग सेहरी और इफ्तार करते थे. लेकिन भारत का ह्रदय कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में लगभग 300 सालों से यह अनूठी परंपरा चली आ रही है. जहां रमजान के पाक महीने की शुरुआत तोप के गोलों से होती है. सुन्दर दुर्ग पहाड़ी पर बसे रायसेन के किले पर रखी तोप की गूंज रमजान में इफ्तार और सेहरी की शुरुआत का इशारा करती है. जिसकी आवाज 15 से 20 किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है. जिसे सुन कर मुस्लिम समाज के लोग इफ्तार करते हैं.
300 सालों से जारी है परंपरा: बता दें कि पहले मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी रमजान के पाक महीने में तोप चलाई जाती थी, लेकिन वक्त के साथ यह चलन बंद हो गया. रायसेन में पहले बड़ी तोप का इस्तेमाल होता था, लेकिन किले को नुक़सान न पहुंचे इसलिए अब इसे दूसरी जगह से चलाया जाता है. बताया जाता है कि इस परंपरा की शुरुआत भोपाल की बेगमों ने 18वीं सदी में की थी. शहर काजी को इसकी देखरेख कि जिम्मेदारी सौंपी गई थी.