रायसेन। बरेली तहसील के जनकपुर गांव के एक गरीब चौकीदार की एक साल की बेटी दाक्षी जन्म से ही अंधी है. डॉक्टरों का कहना है कि दाक्षी का रेटीना फटा हुआ है. जिसका इलाज तो संभव है, पर उसमें कम से कम 15 से 17 लाख रुपए का खर्च आएगा. दाक्षी के परिवार कि आर्थिक स्थिति को देखते हुए तहसीलदार और नगर के लोगों ने एक मुहिम शुरु की. जिसके तहत लोगों ने दाक्षी के इलाज के लिए पैसे जुटाए और 25 नवंबर को दाक्षी का हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में इलाज शुरू हो सका.
नहीं मिला 'आयुष्मान' का वरदान, दाक्षी को दुनिया का दीदार कराने के लिए जन-जन ने किया सहयोग - tehsil dar nikita tiwari
रायसेन कि बरेली तहसील की एक साल की दाक्षी की मदद के लिए पूरा शहर जुट गया है. दाक्षी के आंख की रेटीना जन्म से ही खराब है, जिसके चलते वो देख नहीं सकती. दाक्षी के पिता चौकीदार हैं और वे इलाज करवाने में सक्षम नहीं हैं.
![नहीं मिला 'आयुष्मान' का वरदान, दाक्षी को दुनिया का दीदार कराने के लिए जन-जन ने किया सहयोग](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-5159199-thumbnail-3x2-img.jpg)
तहसीलदार निकिता तिवारी ने बताया कि दाक्षी के लिए बरेली की समाजसेवी संस्थाओं और नागिरकों से अपील की थी. जिसके बाद दाक्षी के इलाज के लिए राशि मिल रही है. ऑनलाइन पेमेंट के माध्यम से भी राशि आ रही. अब तक लगभग ढाई लाख रुपए जुटाया जा चुका है और इलाज में लगभग 15 से 17 लाख का खर्च आएगा. आगे उन्होंने कहा कि बरेली के सभी नागिरकों ने ये विश्वास दिलाया है कि वो दाक्षी के दृष्टि अभियान में अपना सहयोग देंगे.
दाक्षी को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिलना चाहिए था, पर किन कारणों से उसे इस योजना का लाभ नहीं मिला, इसकी पड़ताल भी जारी है. यदि इस योजना का लाभ मिल जाता तो दाक्षी के पिता की मुश्किलें आसान हो जातीं.