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MP Seat Scan Bhojpur: बीजेपी के गढ़ में फीकी पड़ सकती है कांग्रेस की राजनीति, जानें भोजपुर का सियासी ताना-बाना - भोजपुर का सियासी समीकरण और इतिहास

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे रायसेन जिले की भोजपुर सीट के बारे में. राजधानी भोपाल से जुड़ी यह सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. एससी-एसटी एक बड़ा वोट बैंक यहां निर्णायक भूमिका निभाता है. जानें भोजेश्वर मंदिर वाले से इस नगर का सियासी समीकरण और इतिहास.

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Published : Jun 2, 2023, 6:16 AM IST

रायसेन।2023 मध्यप्रदेश में चुनावी साल है साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस के भविष्य को तेय करेंगे. इस साल चुनावी रण को जीतने के लिये प्रदेश की दोनों ही बड़ी पार्टियां अभी से ही मैदान में कूद पड़ी हैं. मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से भोजपुर को भाजपा का गढ़ भी कहा जाता है. यह महादेव की नगरी है यहां पर विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग भी स्थित है जिसे परमार कालीन राजा भोज ने बनवाया था.

भोजपुर का भोजेश्वर मंदिर

भाजपा का गढ़ भोजपुर:राजधानी भोपाल से सटी रायसेन जिले की भोजपुर विधानसभा सीट पर 1977 से ही भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है. महज दो बार ही 1967 में कांग्रेस के गुलाबचंद और 2003 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजेश पटेल विधानसभा क्षेत्र से विजय हुए थे बाकि समय इस विधानसभा बार भाजपा के प्रतिनिधि जीतते चले आए हैं. यह सीट रायसेन जिले में आने वाली चार विधानसभा में से एक है जहां पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा भाजपा से पिछले तीन चुनावों से निरंतर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी को हारते हुए क्षेत्र के विधायक बने हुए हैं.

भोजपुर में पिछले 3 चुनावों के नतीजे

पिछले 3 चुनावों के नतीजे: भोजपुर विधानसभा क्षेत्र के अगर चुनावी समीकरण की बात की जाए तो भोजपुर विधानसभा में भाजपा के प्रतिनिधि सुरेंद्र पटवा ने 2018 के आम चुनावों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी को 29,486 वोटों से शिकस्त दी थी. जिसमें सुरेंद्र पटवा को 53% वोट मिले थे तो वही कांग्रेस के सुरेश पचौरी को महज 36% वोट ही मिल पाए थे. 2013 में हुए आम चुनाव में सुरेंद्र पटवा को 51% तो वही 49% मत मिले थे. 2008 में सुरेंद्र पटवा का सामना कांग्रेस के राजेश पटेल से हुआ था जिसमें कांग्रेस के राजेश पटेल को भी हार का सामना करना पड़ा था.

2018 विधानसभा चुनाव का नतीजा

मतदाता: मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में भोजपुर विधानसभा क्षेत्र है. कुल मतदाताओ की संख्या 2 लाख 34 हजार 356 है. जहां 1 लाख 24 हज़ार 107 पुरुष मतदाता और 1 लाख 10 हज़ार 231 महिला मतदाता के साथ 18 तीसरे जेंडर के मतदाता हैं.

भोजपुर में मतदाता

जातीय समीकरण: भोजपुर विधानसभा क्षेत्र के अगर जातिगत समीकरण पर नजर डाली जाए तो इस विधानसभा में सर्वाधिक एसटी 65 हजार, एससी 35 हजार, मीणा 30 हजार और मुस्लिम वोटर 35 हजार से अधिक हैं. इसके अलावा किरार, ब्राह्मण, नागर, लोधी, राजपूत ठाकुर, जैन, सिख और कुर्मियों में सभी की संख्या 10-10 हजार के आस-पास है. इस क्षेत्र में एससी और एसटी एक बड़ा वोट बैंक है जो चुनाव में निर्णायक भूमिका लाने में मदद करता है. जिस पार्टी को अपना समर्थन देते हैं परिणामों में उसका असर साफ देखने को मिलता है.

भोजपुर का जातीय समीकरण

क्षेत्रीय मुद्दे: 2023 के अंत में होने वाले आम चुनाव के संबंध में जब भोजपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं से बात की गई तो मतदाताओं ने स्पष्ट रूप से कहते हुए बताया कि क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी का दबदबा है क्षेत्र में काफी विकास हुआ है पर बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. भोजपुर विधानसभा क्षेत्र में आने वाले 12 गांव में काफी बेरोजगारी है. यहां पर रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है ना ही कोई इंडस्ट्री लगाई गई है जिस और ध्यान देना चाहिए.

भोजपुर की खासियत

कांग्रेस की स्थिति: भोजपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की सबसे बड़ी परेशानी कोई निश्चित चेहरा नहीं होना है. कांग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में से एक कहे जाने वाले सुरेश पचौरी को भी भोजपुर से हार का सामना करना पड़ता है. इस बार भी कांग्रेस की मुश्किलें भोजपुर में आसान नहीं है क्योंकि अभी तक भोजपुर में कांग्रेस का कोई स्थाई चेहरा नहीं है. जिसका सीधा सीधा लाभ क्षेत्र में विरोध होने के बाद भी भाजपा को मिलता दिख रहा है.

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