रायसेन। कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन की वजह से मजदूर वर्ग परेशान है. तो वही मजदूर वर्ग का कमाई का जरिया भी ठप हो गया है. जिसके चलते इस वर्ग के लोग दो वक्त की रोटी के लिए मजबूर हो रहे हैं. गरीब और मजदूरों की परेशानी को देखते हुए, केंद्र और राज्य सरकारों ने इस कोरोना संकट में मजदूरों के लिए वरदान साबित होने वाली मनरेगा योजना के अंतर्गत कूप निर्माण, तालाब निर्माण और अन्य कार्य ग्राम पंचायतों में चालू किए गए थे. जिससे मजदूरों को काम मिल सके और वह अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें. लेकिन ग्राम पंचायत और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते मनरेगा योजना कमाई का जरिया बन मनरेगा योजना घोटाले की भेंट चढ़ती नजर आ रही है. लेकिन इसके बावजूद अधिकारी कार्रवाई के नाम पर भ्रष्टाचार करने वालो को संरक्षण देने में लगे हुए हैं.
दरअसल, ग्रामीण स्तर पर शासन की महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में जनपद के उपयंत्री और कर्मचारियों द्वारा ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना में जेसीबी मशीन से काम कर मनरेगा योजना की राशि का मिलीभगत करके बंदरबांट किया जा रहा है. वहीं शासन को लाखों रुपए का चूना लगाकर गरीबों के हक पर डाका डाला जा रहा है. रायसेन जिले की सिलवानी तहसील के आदिवासी अंचल के तहत आने वाली ग्राम पंचायत में मनरेगा अंतर्गत किए जा रहे निर्माण कार्य में जेसीबी मशीन का उपयोग ग्राम पंचायत एवं उपयंत्री की मिलीभगत से किए जाने के आरोप ग्रामीणों द्वारा लगाए जा रहे हैं. ग्राम पंचायत के तहत आने वाले ग्राम बिछुआ में करीब तीन लाख की लागत से सामुदायिक कूप निर्माण किया जाना बताया जा रहा है. जेसीबी मशीन का उपयोग किया गया. मनरेगा के तहत कराए जाने वाले निर्माण कार्य में मशीनों का उपयोग किया जाना पूर्णता नियम के विरुद्ध है. इसके बावजूद भी निर्माण कार्य में मशीनों का उपयोग तहसील की कई ग्राम पंचायतों में किया जा रहा है.