रायसेन। 1972 के युद्ध में भाग लेने वाले और राष्ट्रपति द्वारा सम्मनित सिलवानी के होमगार्ड सैनिक सदई लाल बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं. हालात यह है कि सदई एक झोपड़ीनुमा घर में रहने को मजबूर है. राष्ट्रपति से सम्मानित सदई को शासन की योजनाओं का लाभ भी नही मिल पा रहा है. रिटायरमेंट के बाद जीवन यापन करने के लिए मेहनत मजदूरी करके अपना परिवार का भरण पोषण किया, लेकिन वक्त के साथ अब शरीर ने भी काम करना बंद कर दिया है. जिसके चलते दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.
दर-दर की ठोकरें खा रहा राष्ट्रपति से मेडल प्राप्त होमगार्ड सैनिक, झोपड़ी में रहने को मजबूर - ETV BHARAT NEWS
जिले के सिलवानी में रहने वाले राष्ट्रपति द्वारा सम्मनित होमगार्ड सैनिक सदई लाल अपनी जिंदगी के बीते हुए पल बदहाली में गुजार रहे हैं. कई आवेदनों के बावजूद उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
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सदई लाल को 1982 में डिवीजनल कमांडेंट होमगार्ड भोपाल में पदस्थापना के दौरान सम्मनित किया गया था. रिटायरमेंट के बाद स्टेट बैंक में गार्ड के रूप में कार्य किया, लेकिन अब बढ़ती उम्र के साथ शरीर ने भी काम करना बंद कर दिया. जैसा कि पूर्व की सरकारों द्वारा नगर सैनिकों को किसी प्रकार की पेंशन नहीं दी जाती थी, वहीं वर्तमान सरकार भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. सदई लाल का कहना है कि विगत कई महीनों से कलेक्ट्रेट, तहसील कार्यालय, नगर पंचायत सहित सभी जगहों पर सरकार से मदद की गुहार लगा चुका हुं, लेकिन सहायता का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है.
मामले में नगर पंचायत अध्यक्ष मुकेश का कहना है कि नगर पंचायत द्वारा उन्हें नियम अनुसार पेंशन दी जा रही है. वहीं इस बार प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत उनका नाम भी आ गया है, जिससे उन्हें आवास मिल जाएगा.