रायसेन।मध्य प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का दावा करने वाले प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर प्रभुराम चौधरी के दावों से परे जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है. प्रदेश के रायसेन जिले की सांची विधानसभा से निर्वाचित स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभु राम चौधरी के पैतृक गांव में जब स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की जमीनी हकीकत देखी गई, तो देखने में आया की यहां वर्षों से बंद पड़े क्षतिग्रस्त उप स्वास्थ्य केंद्र जो अपने ही इलाज को तरस रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री के पैतृक गांव में रहने वाले गरीब लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए गांव से दूर बेगमगंज सागर और रायसेन का मजबूरी में सफर करना पड़ता है. स्वास्थ्य मंत्री के पैतृक गांव ओर आस-पास के ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य कर्मियों की अनुपस्थिति के चलते लोग खासा परेशान हैं.
- गांव में 6 लोग कोरोना पॉजिटिव
इन ग्रामीण इलाकों में पंचायत के कर्मचारी भी अपनी कारगुजारी करने से नहीं चूक रहे. जिला प्रशासन के आदेश का पालन करने का दिखावा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री के गांव में पंचायत भवन में बनाए गए क्वारंटीन सेंटर पर मरीजों के लिए टेबल के ऊपर पतली चादर बिछाकर बेड लगाने की औपचारिकता कर दिखावा किया जा रहा है, तो वही ग्रामीणों का कहना है कि यहां का उप स्वास्थ्य केंद्र तीन चार साल से बंद पड़ा हुआ है. गांव में कोरोना के 4 से 6 मरीज पॉजिटिव निकले है, जिन्हें उपचाक के लिए बेगमगंज या रायसेन ले जाना पड़ता है. गांव में कोरोना की बात तो छोड़िए छोटी-छोटी बीमारियों के ईलाज के लिए भी मरीज को बेगमगंज जाना पड़ता है.
- टेबल पर चादर डालकर बनाए बेड
ग्राम बेरखेड़ी निवासी धर्मेंद्र का कहना है कि हमारे यहां का उप स्वास्थ केंद्र 3 साल से क्षतिग्रस्त पड़ा हुआ है, यहां कोई भी नर्स और स्वास्थ्य कर्मी ग्रामीणों के ईलाज करने के लिए नहीं आते. पंचायत भवनों में क्वॉरेंटाइन होना तो छोड़िए इंजेक्शन लगाने की व्यवस्था नहीं है. जब ग्राम बेरखेड़ी के पास के गांव माला पंचायत भवन का भ्रमण किया गया तो पाया कि यहां टेबल के ऊपर चादर चढ़ी थी. इस संबंध में पंचायत भवन के चौकीदार से बात की गई तो चौकीदार ने बताया गया कि सचिव कोरोना पॉजिटिव है. हमारे पास बेड की व्यवस्था नहीं है. इसलिए छोटी-छोटी टेबल के ऊपर चादर डाल कर बेड बनाए गए हैं.
जिला स्वास्थ्य अधिकारी रायसेन से किए गए प्रश्न
- जिले में उप स्वास्थ्य केंद्रों और इन केंद्रों पर डॉक्टरों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कितनी तैनाती की गई है?