रायसेन।भोपाल से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर शहंशाह-ए-मालवा की दरगाह है. जहां श्रद्धालु हजरत पीर फतेह उल्लाह की दरगाह पर दूर दूर से पहुंचते हैं. ज्यादातर लोग दरगाह में दर्शन करने के लिए दूसरे राज्यों से यहां आते हैं लेकिन लॉकडाउन के बाद अब भोपाल, विदिशा, होशंगाबाद, सागर और सीहोर के लोग दूर दराज से यहां पहुंच रहे हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मुरादे मांगते हुए दिखाई दे रहे हैं. रविवार के दिन यहां पर श्रद्धालूओं की बड़ी संख्या में भीड़ देखी जा सकती है, जो यह आकर इस सुंदर स्थान का लुफ्त उठा रहे हैं.
शहंशाह-ए-मालवा: हजरत पीर फतेह उल्लाह की दरगाह पर श्रद्धालुओं का हुजूम - Devotees flocked to the shrine of Hazrat Pir Fateh Ullah
रायसेन में हजरत पीर फतेह उल्लाह की दरगाह है, यहां दूर दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं. इस दरगाह को लोग शहंशाह-ए-मालवा से भी जानते हैं.
दरगाह के बारे में बताते हुए बादशाह खां कहते हैं कि हमारा परिवार बाबा के जमाने से यहां पर हमारा पूरा कुनबा काबिज रहा है. यह दरगाह 900 साल पुरानी है जो शहंशाह ए मालवा पीर फतेह उल्लाह रहमतुल्ला आले की है. यहां आने वाले सभी धर्मों के लोगों की मुरादें पूरी होती हैं. इस कारण ही देश-विदेश और सभी धर्मों के लोग यहां आते रहते हैं. विदिशा से आए हुए शमी उल्ला ने बताया कि हमारा जब भी दिल चाहता है हम यहां घूमने चले आते हैं. यह घूमने की बहुत सुंदर जगह है इसलिए अक्सर हम पूरे परिवार के साथ यहां घूमने आते रहते हैं. अपने बुजुर्गों का दीदार करने के लिए भोपाल की शन्नो बी अपने परिवार के साथ अक्सर यहां आती रहती हैं. उन्होंने बताया कि वह यहां पर बचपन से आ रही है. वहीं भोपाल से आए हुए इसरत जहां अक्सर यहां आती रहती हैं, जिनके बड़े बेटे और नवासा इसी दरगाह की देन है.