रायसेन। घरों में जिस तरह टावरों को लगाना एक बड़ा पेचीदा खेल है, उतना ही पेचीदा खेल इन टावरों को अपने घर से हटाने का है. कंपनियां घरों में टावर तो लगा देती हैं पर इन टावरों के अनुबंध समाप्त होने के बाद जब इन्हें हटाने की बारी आती है तो यह कंपनियां अपने किए हुए अनुबंध से पलटती नजर आती हैं. जिसके कारण कई तरह के विवाद खड़े होते हैं. ऐसा ही एक मामला रायसेन के सागर रोड स्थित मनमोहन अग्रवाल के घर में लगे हुए एयरटेल कंपनी के मोबाइल टावर का है. जिसे लगे हुए 15 साल से ऊपर हो गए हैं. एयरटेल कंपनी से किए गए 2005 में अनुबंध की समय सीमा वर्ष 2020 में समाप्त होने के 6 माह बाद भी एयरटेल कंपनी द्वारा मनमोहन अग्रवाल के घर में लगे हुए मोबाइल टावर को नहीं हटाया जा रहा है.
कंपनी बरत रही लापरवाही
मनमोहन अग्रवाल व उनके परिवार की आपत्ति के बाद भी एयरटेल कंपनी मोबाइल टावर शिफ्ट करने में लापरवाही बरत रही है. वहीं मनमोहन अग्रवाल द्वारा एयरटेल कंपनी को किए गए एग्रीमेंट पूरा होने के एक साल पहले से अनुबंध को जारी ना रखने के संबंध में कई बार पत्राचार किया गया. अगर मनमोहन अग्रवाल की माने तो उन पर एयरटेल कंपनी और उसके प्रतिनिधियों और रिटायर आईपीएस अधिकारी सहित उसके परिचितों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है, जिससे की वे मोबाइल टावर के अनुबंध की समय सीमा को बढ़ा दें, ताकि घर से मोबाइल टावर हटाने की नौबत ना आए.
टावर की रेडिएशन से भाभी और पत्नी की भी हो चुकी है मौत
मनमोहन अग्रवाल का कहना है कि मेरे घर पर लगे मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन के कारण उनकी पत्नी का 2016 में और मेरी मझली भाभी का 2017 में कैंसर के कारण स्वर्गवास हो गया, जिसके बाद से ही उनका परिवार उनके साथ नहीं रहता. उनके बच्चे घर नहीं आते उन्हें बीमार होने का डर बना रहता है. बच्चों के साथ ना रहने से वे मानसिक प्रताड़ित है. उनका कहना है कि 'मेरे द्वारा कई बार कंपनी को सूचना दी गई, लेकिन एयरटेल कंपनी मेरे घर से अनुबंध समाप्त होने के बाद भी टावर हटाने को तैयार नहीं है'.