पन्ना।अगर हम आप से कहें कि आजादी के इतने सालों बाद भी ग्रामीण बिना बिजली और बुनियादी जरुरतों के जीवन यापन कर रहे हैं तो आप थोड़े समय के लिए विचार तो करेंगे कि देश की आजादी को काफी लंबा वक्त बीत चुका है. इसके बावजूद ग्रामीण बिना बिजली का अपना जीवन यापन कैसे कर रहे होंगे. लेकिन यह पूरी तरह से सही है. पन्ना के ग्राम पंचायत जरधोवा के गांव कोटा गुंजापुर में आज भी ग्रामीण बिना बुनियादी और आधुनिक सुख सुविधाओं के जीवन जीने को मजबूर हैं.
पन्ना जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत जरधोवा के तहत कोटा गुंजापुर गांव है. इस गांव में लगभग 75 आदिवासी परिवारों के 400 लोग निवास करते हैं. लेकिन इस गांव में न तो सड़क है और न ही गांव में लाइट के खंबे लगे हैं. गांव के छात्र-छात्राएं अंधेरे में डिब्बी के सहारे पढ़ाई करने को मजबूर हैं और गांव में महज एक-दो दर्जन मोबाइल हैं. जिन्हें चार्ज करने के लिए दो किलोमीटर पंचायत जरधोवा तक जाना पड़ता है.
अंधेरे में उज्जवल भविष्य की रोशनी
पन्ना जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत जरधोवा के गांव कोटा गुंजापुर में लगभग 75 आदिवासी परिवार 50 साल से ज्यादा समय से रह रहे हैं. चार सौ की आबादी वाले इस गांव के चारों तरफ पन्ना टाईगर रिजर्व का क्षेत्र लगा है. इस आदिवासी बाहुल्य गांव के निवासियों को आज तक न तो बिजली नसीब हो सकी और न ही पंचायत से गांव तक के लिए पहुंच मार्ग बन सका. आलम इस कदर है कि गांव में रहने वाले लोग अंधेरे में जीवन यापन सालों से कर रहे हैं. यहां छात्र-छात्राएं रात के अंधेरे में डिब्बी के सहारे पढ़ाई करते हैं. फिर भी इस गांव के छात्र कोरोना संक्रमण के चलते भले ही स्कूल बंद हैं लेकिन घर में डिब्बी के सहारे घर में पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही डिजिटल इंडिया के जमाने में इस गांव में मोबाइल भी बहुत कम लोग रखते हैं.
आधुनिक सुविधाओं से दूर कोटा गुंजापुर गांव