पन्ना।एक ओर जहां केंद्र और राज्य सरकार गांव-गांव तक सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन, नलजल योजना के तहत पानी, प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत मार्ग प्रदान करने का दावा करती है, लेकिन बुंदेलखंड क्षेत्र का सबसे पिछड़ा जिला पन्ना एक ऐसी आदिवासी बाहुल्य पंचायत है, जहां चार गांवों के 2 हजार ग्रामीण इन सभी योजनाओं के लिए आज भी तरस रहे हैं. एक-एक बूंद पानी के लिए जान जोखिम में डालकर अपनी और अपने परिवार की प्यास बुझा रहे हैं.
इन गांवों में आलम इस कदर है कि, यहां के निवासी ऐसे घाट से पानी भरते हैं, जहां पर पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों सहित अन्य जंगली जानवरों का खतरा मंडराता है. सिर्फ इतना ही नहीं इस आदिवासी बाहुल्य पंचायत के ग्रामीणों ने पानी के अलावा आज तक बिजली और सड़क के दर्शन भी नहीं किए हैं.
डर के साए में ग्रामीण
यूं तो आज लोग चांद पर पहुंच गए है. देश के प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया बनाने की बात कर रहे हैं. सरकार द्वारा आदिवासी समुदायों के लिए अनगिनत योजनाएं भी संचालित की जा रही है, लेकिन यह सब बातें राजनीतिक गलियारों तक ही सीमित रह जाती है, क्योंकि जिले में आदिवासी बाहुल्य कटहरी बिल्हटा पंचायत है, जहां पर लगभग चार गांवों के लोग आज भी बिजली, पानी और सड़क से वंचित है. यह पंचायत चारों तरफ से पन्ना टाइगर रिजर्व से घिरी हुई है, लेकिन इस पंचायत में आजादी के बाद आज तक सरकार द्वारा बनाई गई विकास योजनाएं नहीं पहुंच पाई है. परिस्थिति ऐसी है कि, ग्रामीण चट्टानों और पहाड़ियों से गुजर कर पानी भरने जाते है. हालांकि ये केवल एक समस्या नहीं है, बल्कि यहां पर इंसान के अलावा जानवर भी पानी पीने के लिए आते है, जिससे लगातार खतरा बना रहता है.