पन्ना। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पुर्नस्थापना योजना के एक दशक पूरा हो गया है. इस बाघ पुनर्स्थापना की कामयाबी पर मध्यप्रदेश राज्य जैव-विविधता बोर्ड और वन विभाग द्वारा एक अनूठी गतिविधि के आयोजन की तैयारी की गई है. जिसके तहत पन्ना में 20 से 26 दिसम्बर, 2019 तक दुनिया भर के पर्यावरण व बाघ प्रेमी जंगल में उस मार्ग पर ट्रेकिंग करेंगे. जिस मार्ग से होकर बाघ टी-3 गुजरा था.
...जब रचा इतिहास
ये वही बाघ है जिसने पन्ना में बाघों की नई दुनिया आबाद करके इतिहास रचा है. इतिहास रचने वाले इस बाघ को 10 साल पहले 26 दिसम्बर 2009 को पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की वंश वृद्धि के लिए छोड़ा गया था. इसलिए ये दिन पन्ना बाघ पुर्नस्थापना योजना के लिए एक यादगार दिन है.
पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ पुर्नस्थापना
पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियों-कर्मचारियों की रात-दिन की कड़ी मेहनत, सतत निगरानी और स्थानीय लोगों का सहयोग तब रंग लाया, जब बाघिन टी-1 ने पहली बार 16 अप्रैल, 2010 को 4 शावकों को जन्म देकर वन्य-प्राणी जगत में पन्ना टाइगर रिजर्व का नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करा दिया. पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ पुर्नस्थापना के लिए विश्व स्तर पर सफलता का मानक बन चुका है. यही वजह है कि दुनिया भर से लोग पन्ना आकर बाघों को फिर से आबाद करने के गुर सीखना चाहते हैं.
ग्लोबल टाइगर लर्निंग सेंटर की हो स्थापना
पर्यावरण विंग राजेश दीक्षित का कहना है कि बाघ पुर्नस्थापना योजना को यहां पर जिस तरह से शानदार सफलता मिली है, उसे द्रष्टिगत रखते हुए पन्ना में ग्लोबल टाइगर लर्निंग सेंटर की स्थापना जल्द होनी चाहिए. अगर यहां पर टाइगर लर्निंग सेन्टर की स्थापना हो जाती है, तो पूरी दुनिया के लोग यहां बाघों के संरक्षण व पुर्नस्थापना का पाठ सीखने के लिए आयेंगे. जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ स्थानीय कम्युनिटी को लाभ मिलेगा.