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भारत में पहली बार बाघिन को पहनाई गई जीपीएस कॉलर, पन्ना टाइगर रिजर्व में अब और सुरक्षित होंगे बाघ - tigress put on GPS collar

प्रदेश में बाघों को सुरक्षित रखने पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन को जीपीएस कॉलर पहनाई गई. देश में पहली बार बाघों को जीपीएस कॉलर पहनाया गया है.

tigress put on GPS collar
बाघिन को पहनाई गई जीपीएस कॉलर

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Published : Dec 15, 2020, 11:08 PM IST

पन्ना। टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश में वनराज की सुरक्षा अब और भी पुख्ता होने जा रही है. पन्ना टाइगर रिजर्व में 14 बाघ जीपीएस सैटेलाइट कॉलर के जरिये निरंतर निगरानी में रहेंगे. लैंडस्केप मैनेजमेंट और कॉरिडोर प्रबंधन के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की अनुमति के बाद इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश में भी हो गई है.

बाघिन को पहनाई गई जीपीएस कॉलर

बाघिन को पहनाई गई कॉलर

पन्ना टाइगर रिजर्व जिसे देश दुनिया में बाघों के लिए जाना जाता है. अब पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघ और भी एडवांस होने जा रहे हैं. जिससे न सिर्फ वनराज की सुरक्षा और पुख्ता होगी बल्कि अब पन्ना टाइगर रिजर्व के कर्मचारियों को बाघों के पीछे दौड़ना भी नही पड़ेगा. पन्ना के अमानगंज बफर के तारा बीट में अर्द्ध वयस्क बाघिन पी-213 (63) को कॉलर पहनाई गई.

तुरंत मिलेगा अलर्ट

आधुनिक तकनीक वाली कॉलर वाले बाघ मानव बस्तियों के करीब पहुचेंगे तो तत्काल अलर्ट मिलेगा. पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर का कहना है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत अध्ययन के लिए केंद्र में 14 बाघों को कॉलर करने की अनुमति दी गई है. नए कॉलर वाले बाघों में 8 कोर और बफर जोन से हैं, जबकि 6 पन्ना लेंडस्केप के होंगे. लैंडस्केप में वे बाघ शामिल हैं, जो नोराहदेही, सरभंगा सहित कई क्षेत्रों में घूम रहे हैं.

पढ़ें-MP: टाइगर स्टेट का तमगा दिलाने में इस करिश्माई बाघिन का है विशेष योगदान

पहले लगती थी रेडियो कॉलर

इससे पहले लगाई जाने वाली रेडियो कॉलर आईडी से बाघ की लोकेशन ट्रेस करने के लिए सिग्नल रिसीविंग एंटीना लेकर फील्ड में दौड़ना पड़ता था. इस सिस्टम में सटीक लेकिन थोड़ी लेट जानकारी मिलेगी.

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