पन्ना।टाइगर रिजर्व और केन नदी के जिन इलाकों में 14 साल पहले तक ठोकिया, बलखडिया जैसे डकैतों का आतंक था. वहां अब पर्यटक बगैर किसी डर के नाइट सफारी कर रहे हैं. इन गांवों में अब होम स्टे, होटल और रिसॉर्ट बन गये हैं. अब पर्यटक नाइट सफारी का मजा ले रहे हैं. साथ ही बाघों का भी दीदार कर रहे हैं.
- आतंक खत्म, आनंद शुरु
2007 तक यहां के गांव पर छह लाख के इनामी डकैत ठोकिया के गिरोह का कब्जा था. डकैतों के खौफ से टाइगर रिजर्व के कर्मचारी पेट्रोलिंग तक नहीं कर पाते थे. नतीजा ये हुआ कि यहां के बाघ शिकारियों की भेंट चढ़ गए. एक समय ऐसा भी आया जब इस क्षेत्र को बाघ विहीन क्षेत्र घोषित कर दिया गया था. इसके बाद जब डकैतों का खात्मा हुआ, तो 2009 में यहां फिर से बाघ लाए गए. इस समय यहां 60 से भी ज्यादा बाघ हो गए हैं. ये बाघ पर्यटकों को आसानी से दिखाई दे जाते हैं. इसलिए देश भर से लोग यहां नाइट सफारी के लिए आ रहे हैं. इससे पर्यटन उद्योग फल-फूल रहा है.