MP Seat Scan Pawai: पवई सीट पर नहीं किसी पार्टी का एकाधिकार, इस चुनाव में BJP को मिलेगी जीत या होगी हार - एमपी सीट स्कैन पवई
चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे पन्ना जिले की पवई सीट के बारे में. यह सीट अनारक्षित है. यहां की जनता ने हर वर्ग को मौका दिया है. हालांकि इस सीट की ये खासियत है कि ये किसी एक पार्टी की गढ़ नहीं मानी जाती है. यहां जनता अपने मन के हिसाब से अपना विधायक चुनती है. जानिए पवई सीट का समीकरण.
एमपी सीट स्कैन पवई
By
Published : Jun 5, 2023, 6:14 AM IST
पन्ना।मध्य प्रदेश के निर्माण के साथ 1951 में पवई विधानसभा अस्तित्व में आई. पन्ना जिले की सबसे बड़ी विधानसभा सीट पवई में पवई एवं शाहनगर दो विकासखंड एवं 4 तहसीलों का बृहद क्षेत्र समाहित है. पवई की राजनीति का प्रदेश में अपना खास स्थान रहा है. यहां से चुनकर विधायक मंत्रिमंडल के शीर्ष पदों पर रहे. पवई क्षेत्र की अधिकांश जनता कृषि पर आश्रित है. यहां अच्छे किस्म के पत्थर की खदानें हैं. उद्योग के नाम पर पुरैना में जेके सीमेंट फेक्ट्री है. प्राकृतिक सौंदर्य को समेटे पहाड़ों और वनों से आच्छादित यह क्षेत्र मां कलेही मंदिर पवई, कंकाली माता मंदिर बनौली, हनुमान भाटा, गंगा झिरिया स्थल, सिल्वर फॉल/चांदा जलप्रपात आदि स्थानों के लिए प्रसिद्ध है.
पवई की खासियत
जातीय समीकरण: पवई की विधानसभा सीट अनारक्षित है. पिछले 30 वर्षों में इस सीट पर 3 बार क्षत्रिय 2 बार ब्राह्मण एवं 1 बार पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी को जनता का समर्थन प्राप्त हुआ है. जिनमें 40% ओबीसी, 30 % सामान्य, 15 % एससी एवं 15% एसटी वर्ग के मतदाता शामिल हैं. जो विधानसभा चुनाव में अपना प्रतिनिधि चुनते हैं. पवई विधानसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण से अधिक तत्कालीन मुद्दे चुनाव को प्रभावित करते हैं.
पवई सीट के मतदाता
राजनीतिक परिदृश्य - पवई की जनता का अपना अलग ही मिजाज रहा है. इसे किसी एक पार्टी का गढ़ नहीं बनाया जा सका. पिछले 30 वर्षों की बात करें तो 1993 और 2013 में कांग्रेस पार्टी से मुकेश नायक को पवई की जनता ने समर्थन दिया. 1998 में समाजवादी पार्टी से वीर विक्रम सिंह भैया राजा चुनाव जीते. 2003 एवं 2008 में लगातार दो बार भारतीय जनता पार्टी से बृजेंद्र प्रताप सिंह ने जीत हासिल की. बीजेपी के प्रहलाद लोधी वर्तमान में पवई विधायक हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो पवई विधानसभा क्षेत्र की राजनीति पार्टी से अधिक स्थानीय मुद्दों से प्रभावित होती है. कैप्टन जयपाल सिंह, विक्रम सिंह भैया राजा, मुकेश नायक, ब्रजेन्द्र सिंह इन सबको विजय का आशीर्वाद देकर परिस्थिति बदलने पर पराजय का स्वाद भी पवई की जनता ने चखाया है. आंकड़ों की बात करें तो पवई की जनता परिवर्तन में विश्वास रखती है.
जातीय समीकरण
विधानसभा चुनाव के नतीजे:
2018 विधानसभा चुनाव: साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रहलाद लोधी को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस से मुकेश नायक को टिकट मिला था. जहां बीजेपी के प्रहलाद लोधी ने कांग्रेस को शिकस्त दी थी. बता प्रहलाद लोधी ने 23,680 वोटों से जीत हासिल की थी.
साल 2018 का रिजल्ट
2013 का विधानसभा चुनाव:विधानसभा चुनाव साल 2013 में बीजेपी ने बृजेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दिया था. जबकि कांग्रेस से टक्कर देने मुकेश नायक थे. जहां चुनावी परिणाम में कांग्रेस के मुकेश नायक ने बीजेपी के बृजेंद्र प्रताप सिंह को हरा दिया था. मुकेश नायक ने 11,695 वोटों से जीत हासिल की थी.
2008 का विधानसभा चुनाव: विधानसभा चुनाव 2008 में भी बीजेपी ने बृजेंद्र प्रताप सिंह को मैदान में उतारा था. जबकि कांग्रेस से मुकेश नायक उम्मीदवार थे. इस चुनाव में बीजेपी के बृजेंद्र प्रताप ने कांग्रेस के मुकेश नायक को हरा दिया था. बीजेपी के प्रत्याशी ने 1,090 वोटों से जीत दर्ज की थी.
पवई सीट रिपोर्ट कार्ड
प्रमुख चुनावी मुद्दे मुख्य रूप से इस बार चुनाव में बढ़ती महंगाई, रोजगार, कर्मचारियों को पुरानी पेंशन, संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग, अतिथि शिक्षकों और अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण के मांग, महिलाओं को लाडली बहना योजना या महिला सम्मान निधि, किसान कर्ज माफी, सस्ती बिजली, विकास के कार्यों में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों के साथ स्थानीय मुद्दे भी चुनाव को प्रभावित करेंगे.
स्थानीय चुनावी मुद्दे :पवई के विकास की गति बहुत धीमी रही है. स्वास्थ्य सुविधाओं का न होना इस चुनाव में बड़ा मुद्दा हो सकता है. सबसे बड़ी बात विधानसभा क्षेत्र में एक भी महिला डॉक्टर नहीं है. स्वास्थ सुविधाओं का अभाव है, जो उप स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं, उनमें भी पर्याप्त डॉक्टर नहीं है. कुछ दिन पहले खुद पवई विधायक को समय पर ऑक्सीजन न मिलने का मुद्दा गरमाया था. इसके अलावा अस्पताल तो स्वीकृत हुआ पर उसका निर्माण आज तक पूर्ण नहीं हो सका. कई गांव में अभी भी मूलभूत सुविधाएं बिजली और पानी उपलब्ध नहीं है. जबकि कई गांवों में अभी भी पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो सका है. इन सब के अलावा पवई की जनता लंबे समय से पवई को जिला बनाने की मांग कर रही है. यह भी इस बार चुनावी मुद्दा हो सकता है. रोजगार एक बड़ा मुद्दा है. यहां के ज्यादातर लोग पलायन करने के लिए मजबूर हैं. पवई में पत्थर खदान से लोगों को रोजगार मिलता था, वह भी बन्द पड़ी है. रेलवे लाइन की भी लंबे समय से मांग उठाई जा रही है.