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पन्ना में महामारी के साथ कुपोषण की मार, सामने आए 900 नए मामले - पन्ना में बढे कुपोषण मामले

पन्ना जिले में कुपोषण के ग्राफ बढ़ना प्रशासन की चिंता का विषय बनता जा रहा है, मार्च से लगे लॉकडाउन के दौरान यहां पर 900 नए बच्चे कुपोषण के शिकार हो गए, जिस कारण जिले में कुल कुपोषित बच्चों की संख्या 1424 हो गई.

Malnutrition increased during lockdown in Panna
कोरोना काल में बढ़ा कुपोषण

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Published : Jul 30, 2020, 8:01 PM IST

Updated : Jul 30, 2020, 10:07 PM IST

पन्ना।एक तरफ जहां समूचा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में कुपोषण के ग्राफ बढ़ना प्रशासन की चिंता का कारण बनता जा रहा है. पन्ना जिले में कोरोना संकटकाल के चलते लॉकडाउन के दौरान कुपोषण के चौंका देने वाले आंकड़े सामने आए हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग के मुताबिक इस साल 900 नए कुपोषण के मामले आए हैं और 400 मामले पहले से मौजूद हैं, जबकी 124 पोषित बच्चे लॉकडाउन के दौरना कुपोषित हो गए हैं, जिसके बाद जिले में कुल 1 हजार 424 बच्चे कुपोषण की श्रेणी में आ चुके हैं.

कोरोना काल में बढ़ा कुपोषण

कोरोना के कारण बढ़ा कुपोषण का आंकड़ा
कोरोना के चलते 1262 रिकवर हो चुके बच्चों में से 55 बच्चे दोबारा कुपोषण की श्रेणी में चले गए. इसी प्रकार अतिकुपोषित से सामान्य में 1155 बच्चों का श्रेणी परिवर्तन हुआ था, जिनमें से 69 बच्चे दोबारा कुपोषण के शिकार हो गए. इस तरह जिले में कुल 124 बच्चे दोबारा से कुपोषित हो गए. महिला बाल विकास ने सर्वे कराया, जिसमें इस साल में 900 नए बच्चे कुपोषण के शिकार पाए गए, जबकि 400 बच्चे पिछले साल ही रिकवर होने से छूट गए थे. जिले में अब 1300 कुपोषित बच्चे मौजूद हैं. साथ ही अगर इसमें दोबारा से कुपोषित हुए बच्चे जोड़ दिए जाएं तो जिले में कुपोषण का आंकड़ा 1424 हो जाएगा.

संजीवनी अभियान से हुआ था फायदा
पन्ना जिले में एक साल पहले कुपोषण एक अभिशाप के रूप में देखा जाता था, लेकिन पिछले साल जिला प्रशासन ने कुपोषण को खप्त करने के लिए संजीवनी अभियान के तहत जनांदोलन चलाया और प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारियों सहित नेता, समाजसेवियों ने कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उनकी देखभाल का जिम्मा उठाया. इसका नतीजा यह हुआ कि जिले में जुलाई 2019 में 2827 कुपोषित बच्चे चिन्हित किये गए और इनमें से 2813 बच्चों को गोद ले लिए गया. जिसमें अतिकुपोषित बच्चों का काफी श्रेणी सुधार हुआ और लगभग 1317 बच्चे कुपोषण मुक्त हो गए.

लॉकडाउन में टूटा संजीवनी अभियान
महिला बाल विकास अधिकारी उदल सिंह ने बताया कि कोरोना के कारण लॉकडॉउन नहीं होता तो ये आंकड़ा 500 से ज्यादा नहीं होता, क्योंकि जिले में जिस प्रकार संजीवनी अभियान के तहत काम चल रहा था. उससे बहुत अच्छे परिणाम आने शुरु हुए थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण संजीवनी अविभावकों ने बच्चों पर ध्यान देना छोड़ दिया, जिसके कारण 124 बच्चे दोबारा कुपोषित हो गये. पृथ्वी ट्रष्ट एनजीओ और सालों से कुपोषण पर काम कर रहे यूसुफ बेग की माने तो यह आंकड़ा 1500 से ज्यादा हो सकता है.

प्रशासन फिर तैयार, लेकिन तैयारी अधूरी
जिला प्रशासन अब कुपोषण पर फिर काम करने की प्लानिंग की बात कर रहा है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों से नहीं लग रहा है कि जल्द कुछ काम हो सकता है. क्योंकि जिला अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र कोरोना के कारण तीन माह से बंद हैं और अब सिर्फ दो कमरे ही दिए गए हैं, जिनमें ज्यादातर ताला लटका रहता है.

Last Updated : Jul 30, 2020, 10:07 PM IST

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