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यहां 15 दिनों तक सफेद वस्त्र पहनकर भगवान कृष्ण करते है श्राद्ध, और अपने पुर्वजों को तर्पण

पन्ना के भगवान जुगलकिशोर सरकार मंदिर (Bhagwan Jugalkishore Sarkar Mandir) में भगवान कृष्ण अपने पुर्वजों को तर्पण करते है. इस मंदिर में 15 दिनों तक भगवान राधा जी के साथ सफेद वस्त्र धारण करते है. मंदिर के पुजारी कहते है कि भगवान ने 15 दिनों तक परदनिया और गमछा धारण लगाकर पितरों को तर्पण किया. ये बहुत पुरानी परम्परा है.

Bhagwan Jugalkishore Sarkar Mandir
भगवान जुगलकिशोर सरकार मंदिर

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Published : Oct 5, 2021, 8:02 PM IST

Updated : Oct 5, 2021, 10:19 PM IST

पन्ना।मंदिरों की नगरी कहे जाने वाले पन्ना में इंसानों के साथ-साथ भगवान जुगलकिशोर सरकार (Bhagwan Jugalkishore Sarkar) भी अपने पूर्वजों के लिए सफेद वस्त्र धारण कर 16 दिनों तक तर्पण करते हैं. यह परंपरा भी सदियों से चली आ रही है. पन्ना में धरम सागर तालाब (Dharam Sagar Pond) है, यहां लोगों के साथ भगवान जुगलकिशोर सरकार भी अपने पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति के लिए तर्पण (Offerings to Ancestors for Salvation) करते हैं.

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. 16 दिन चलने वाले इस श्राद्ध पक्ष (Shraddha Paksha) में लोग अपने पूर्वजों को याद कर उनके उद्धार के लिए सुबह से जलाशयों में उनके निम्मित पानी देने के लिए पहुंचते है. यह परंपरा राजा कर्ण (Raja Karna) के समय से चली आ रही है.

जानकारों की माने तो पितृ पक्ष में पूर्वज अपने परिजनों के नजदीक आते है. उनके द्वारा दिया गया दान और किए गए कर्म पूर्वजों को सीधे प्राप्त होते है. वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते है. इस कारण से अपने वंशजों को याद कर तर्पण किया जाता है.

भगवान जुगलकिशोर सरकार मंदिर

भगवान कृष्ण के साथ राधा जी भी धारण करती है सफेद वस्त्र

मंदिर के पुजारी अवध बिहारी का कहना है कि पन्ना के जुगलकिशोर भगवान हर साल अपनी रंगीन पोशाक को त्याग देते है. भगवान 15 दिनों तक परदनिया और गमछा लगाकर पितरों को तर्पण करते हैं. ये बहुत पुरानी परम्परा है. भगवान हर साल श्राद्ध के 15 दिनों तक इसी स्वरूप में लोगों को दर्शन देते है. मंदिर में भगवान जुगलकिशोर के साथ में राधा जी की मुर्ती है. भगवान के साथ राधा जी ने भी सफेद वस्त्र धारण कर रखे हैं.

शीतल दास की बगिया घाट पर लोगों ने पूर्वजों के लिए किया तर्पण और श्राद्ध

भगवान खुद पुर्वजों का करते है तर्पण

पुजारी कहते है कि पन्ना का जुगलकिशोर मंदिर बुदेलखंड का एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान भी तर्पण करते है. क्योंकि ये भगवान कभी सखा बन जाते है, तो कभी ग्वाल बाल, तो कभी स्त्री. भगवान तर्पण इसलिये करते है क्योंकि पन्ना के लोग धन्य धान से परिपूर्ण रहे. लोग कहते है कि जब भगवान तर्पण करते है तो अपने पूर्वजों के लिए सभी लोगों को तर्पण करना चाहिए.

शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में पूर्वज आपके पास आते है. आकाश की विभिन्न दिशाओं से अपने वंशजों को देखते है. इसी समय कौआ और गाय को अन्न प्रदान किया जाता है. शास्त्र के अनुसार यह भोजन सूक्ष्म मार्ग से सूर्य की किरणों से होते हुए पितरों को मिलता है. 16 दिन बाद पितृगण पितृलोक चले जाते है.

पितरों को तर्पण कर रहे लोग

इन कारणों से घरों की छत से गायब हुए कौवे, श्राद्ध खिलाने जंगल पहुंच रहे लोग

15 दिन तक 16 तिथियों में पूर्ण होते है श्राद्ध

हिन्दू मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष का बहुत महत्व है इस पक्ष में परिवार अपने पितरों का तर्पण करते है. उनको पानी भोजन देते है. श्राद्ध हिन्दू पंचाग के अनुसार भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की पुर्णिमा से प्रारंभ होता है और अश्विन मास की अमावस्या मतलब 15 दिन तक 16 तिथियों में पूर्ण होता है. पृथ्वी में 14 लोक है और 14 लोक में एक लोक पितृ लोक भी है.

धरम सागर में शहरवासी करते है पुर्वजों को तर्पण

माना जाता है कि इन 16 तिथियों में पितृ लोक पृथ्वी के सबसे अधिक निकट आ जाता है. जिससे पृथ्वी पर रहने वाले पितृ चलायमान हो जाते है. जिसे पितृ पक्ष कहा जाता है. ऐसे में पितरों के लिए उनके वंशज पानी और भोजन की व्यवस्था करते है. जिससे उनको मुक्ति मिलती है. पूरे 15 दिन तक चलने वाले पक्ष में वंशज अपने पूर्वजों को याद करते है. पन्ना के झीलनुमा तालाब धरम सागर में पूरे पन्ना नगर के लोग शामिल होते है और अपने पूर्वजों को तर्पण करते है.

Last Updated : Oct 5, 2021, 10:19 PM IST

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