पन्ना। सरकारी और निजी स्कूलों में सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है. पन्ना के कई स्कूलों में अभी भी बच्चे भारी- भरकम स्कूल बैग लेकर कर स्कूल जाने को मजबूर हैं. क्योंकि स्कूल बोर्ड द्वारा निर्धारित विषय के साथ- साथ दूसरी किताबें बच्चों को पढ़ाई जा रही है.
सरकारी और निजी स्कूलों में नहीं किया जा रहा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन
सरकारी और निजी स्कूलों में सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है. पन्ना के कई स्कूलों में अभी भी बच्चे भारी- भरकम स्कूल बैग लेकर कर स्कूल जाने को मजबूर हैं.
बच्चों के परिजनों का कहना है कि सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों के बाद भी वे भारी भरकम बैग ले जाने को मजबूर हैं. जिसका अशर न केवल उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है. बल्कि कई बार उन्हें भारी भरकम बैग की वजह से कई समस्यायों का सामना भी करना पड़ता है. वही स्कूल प्रबंधन नियमों का पूरा पालन करने की बात कर रहे हैं.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निजी और सरकारी स्कूलों में बच्चों के बैग के वजन तय किये गए थे. जिससे कक्षा दर कक्षा बच्चो भारी-भरकम बैग लेकर स्कूल ना जाना पड़े. इसलिए पांच किलो वजन ही दसवीं क्लास के लिए तय किया गया था. इसी तरह कक्षा 1 से10 वीं तक के छात्र- छात्राओं के बैग का अधिकतम वजन भी तय कर दिया गया था. जिसके निर्देश भी सभी को दिए गए थे. जिससे इसका कड़ाई से पालन करवाया जाए.