पन्ना। समूचे देश में आज फादर्स-डे मनाया जा रहा है. ऐसे में पिताओं की चर्चा होना भी लाजिमी है, लेकिन आज हम इंसानों से हटकर एक ऐसे बाघ की बात कर रहे हैं, जो फादर्स-डे पर चर्चा का विषय बना हुआ है. इस बाघ ने मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में इतिहास रचा है. हम बात कर रहे हैं फादर-ऑफ-द पन्ना टाइगर रिजर्व के नाम जाने जाना वाला बाघ टी-3 के बारे में, जो पन्ना टाइगर रिजर्व में अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव पर है. बाघ टी-3 की उम्र लगभग 17 वर्ष से अधिक है. पन्ना टाइगर रिजर्व में आज 70 से ज्यादा छोटे बड़े बाघ मौजूद हैं. सभी बाघ टी-3 के ही वंशज हैं.
पन्ना टाइगर रिजर्व में बसाया 70 बाघों का संसार
जिस बाघ ने पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों का संसार बसाया है. इस बाघ का 0 से 70 बाघों का संसार बसाने में विशेष योगदान रहा है, लेकिन अब बाघ टी-3 अपना वर्चस्व बचाने के लिए अपनी ही संतानों से दूर रह रहा है. बाघ टी-3 को बाघ पुनर्स्थापना के समय 2009-10 में पेंच टाइगर रिजर्व से पन्ना टाइगर रिजर्व लाया गया था, जिसका नाम टी-3 रखा गया. तभी से लेकर अब तक इस बाघ ने पन्ना टाइगर रिजर्व को देश में वह पहचान दी, जो बाघ पुनर्स्थापना योजना में मील का पत्थर साबित हुई है.