पन्ना। टाइगर रिजर्व में 10 साल की बाघिन पी-213 संदिग्ध स्थितियों में मृत पाई गई. रेडियो कॉलर युक्त बाघिन का शव पन्ना कोर क्षेत्र के तालगांव सर्किल में ट्रेकिंग दल को मिला है. आपको बता दें की करीब एक महीने पहले तक बाघिन बिल्कुल स्वस्थ थी. तालगांव रेस्ट हाउस में आराम फरमाते हुए इस बाघिन की फोटो हाल ही में सुर्खियों में रही है.
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक केएस भदोरिया ने घटना की पुष्टि की है. उन्होंने प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि बाघिन पी-213 पन्ना टाइगर रिजर्व की सबसे ज्यादा चर्चित और चहेती बाघिन थी. स्वभाव से बेहद सीधी और पर्यटकों को सहजता से दिख जाने वाली इस बाघिन ने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया, इसलिए लोग इसे 'पन्ना की रानी' कहकर पुकारते थे. पन्ना टाइगर रिजर्व को बाघों से आबाद करने में अहम भूमिका निभाने वाली बाघिन 'पी- 213' बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत कान्हा से लाई गई बाघिन 'टी-2' की संतान है. बाघिन टी-2 ने अक्टूबर 2010 में इसी वन परिक्षेत्र में इसे जन्म दिया था.
बाघिन पी-213 का संदिग्ध अवस्था में मिला शव, जांच में जुटा वन विभाग
पन्ना जिले के टाइगर रिजर्व में एक बाघिन की मौत हो गई है. मामले की जांच में अभी तक बाघों की आपस में मुठभेड़ के कारण उसकी मौत होना पाया गया है.
पन्ना टाइगर रिजर्व ने बताया कि तहकीकात करने पर पता चला है कि बाघिन के शव पर घसीटने के निशान पाए गए हैं. वहीं निशानों का पीछा करने पर एक स्थान पर बाघों के आपसी मुठभेड़ के चिन्ह पाए गए हैं. जिससे प्रतीत होता है कि बाघिन की मृत्यु आपसी लड़ाई में हुई है. अन्य बाघ द्वारा बाघिन को आप से मुठभेड़ के स्थान से 20 से 25 मीटर दूर घसीटने के निशान भी पाए गए हैं. बाघिन का पोस्टमार्टम डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता ने किया. जब सैंपल एकत्रित किए गए तब मौके पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि के रुप में इंद्रभान सिंह बुंदेला, जिला समन्वयक लास्ट वाइल्डर्नेस फाउंडेशन और सुप्रतिम वैज्ञानिक उपस्थित रहे.
बाघिन का पोस्टमार्टम करने के बाद क्षेत्र संचालक टाइगर रिजर्व, उपसंचालक, सहायक संचालक, प्रतिनिधि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण सहित अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया.