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पहली डोज के बाद अब कुत्तों को लग रही बूस्टर डोज, जानें क्यों ? - पन्ना न्यूज

देश में बाघों को कुत्तों से संक्रमण पैदा होने के बाद से कुत्तों का वेक्सीनेशन कार्य शुरू हो गया है. पन्ना टाइगर रिजर्व में रेबीज वायरस की रोकथाम के लिए टाइगर रिजर्व की सीमा पर स्थित 14 ग्रामों के कुल 675 पालतू कुत्तों का टीकाकरण की पहले डोज लग गई है. वहीं अब कुत्तों को बूस्टर डोज दी जा रही है. (dogs vaccination in panna)

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कुत्ता

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Published : Feb 4, 2022, 11:13 PM IST

पन्ना।बाघ से कुत्तों को खतरा होने की बात तो आम है, लेकिन यह सुनकर आप भी चौंक जाएंगे कि कुत्ते बाघों के लिए जानलेवा हो सकते हैं. आप सही समझ रहे हैं. देश में बाघों को कुत्तों से संक्रमण पैदा होने के बाद से कुत्तों का वेक्सीनेशन कार्य शुरू हो गया है. पन्ना टाइगर रिजर्व में रेबीज वायरस की रोकथाम के लिए टाइगर रिजर्व की सीमा पर स्थित 14 ग्रामों के कुल 675 पालतू कुत्तों का टीकाकरण की पहले डोज लग गई है. वहीं अब कुत्तों को बूस्टर डोज दी जा रही है. (dogs vaccination in panna)

क्या बोले पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर

5000 कुत्तों का टीकाकरण प्रस्तावित
फील्ड डायरेक्टर की मानें तो फरवरी में बूस्टर डोज के कार्य को पूरा भी कर लिया जाएगा. पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एवं बफर क्षेत्र की सीमा के अंदर स्थित ग्रामों के लगभग 5 हजार कुत्तों में टीकाकरण का कार्य प्रस्तावित हुआ है. इसके साथ ही पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एवं बफर क्षेत्र की सीमा में स्थित ग्रामों के मवेशियों में भी टीकाकरण का कार्य लगातार किया जा रहा है. मवेशियों के टीकाकरण का मुख्य उद्देश्य जंगली जानवरों में मवेशियों से होने वाली बीमारीयों को रोकना है. (panna tiger reserve rabies virus)

कुत्तों से बाघों को खतरा
देश में बाघों के संरक्षण और संवर्धन के लिए बनायी गई एनटीसीए ने टाइगर रिजर्व के आसपास रह रहे कुत्तों से बाघों को खतरा बताया था. इसके साथ ही देश के कई टाइगर रिजर्व को मामले में एसओपी जारी की गई थी. एसओपी जारी करने के पीछे प्रमुख वजह कुत्तों से टाइगर और वन्यजीवों को बीमारी फैलने का खतरा बताया गया था. केनाइन डिस्टेम्पर डिजीज नामक वायरस से बाघों को खतरा है, जो कुत्तों से फैलने वाला एक वायरस है. कैनाइन डिस्टेंपर वायरस बाघों के लिए खतरानाक है. (canine distemper virus in panna)

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पूर्व में इस वायरस को बाघों में चिह्नित भी किया गया था. जानकारों का मानना है कि यह वायरस इतना खतरनाक है कि अगर ये टाइगर रिजर्व में फैल जाए, तो बाघों के संरक्षण पर गंभीर असर पड़ सकता है. कुत्तों से बाघ तक बीमारी पहुंचने के मामले काफी पहले सामने भी आ चुके हैं. पन्ना नेशनल पार्क में पूर्व में कुत्तों से पहुंची बीमारी के चलते बाघ की मौत भी हो चुकी है. टीकाकरण का कार्य पन्ना टाइगर रिजर्व की सीमा एवं बफर क्षेत्र के अंदर स्थित कुल 79 ग्रामों के मवेशियों में टीकाकरण किया जाना प्रस्तावित हुआ है. जिसको लेकर पन्ना टाइगर रिजर्व के कर्मचारी लगातार लगे हुए हैं.

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