निवाड़ी। आध्यात्मिक नगरी ओरछा में चल रही अंतरराष्ट्रीय रामलीला में गुरुवार को 9वें दिन कुंभकर्ण, मेघनाद और अहिरावण वध का मंचन हुआ, जबकि बुधवार देर रात दिखाया गया कि भगवान श्रीराम सेना के साथ लंका पर चढ़ाई करने निकल पड़े थे, लेकिन विशाल समुद्र पार करने का कोई उपाय नहीं दिख रहा था, तब प्रभु श्रीराम समुद्र से विनती करते हुए रास्ता मांगते हैं, तीन दिनों तक जब समुद्र कोई उत्तर नहीं देता है तो श्रीराम क्रोध में आकर अपनी तुनीर से बाण निकालते हैं और धनुष की प्रत्यंचा पर चढ़ाते हैं, तभी भगवान राम का क्रोध देख घबराकर समुद्र प्रकट होता है और पार जाने का रास्ता बताता है.
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श्रीराम के स्पर्श से पानी में तैरे पत्थर
बांधि सेतु अति सुदृढ़ बनावा, देखि कृपानिधि के मन भावा. चली सेन कछु बरनि न जाई, गर्जहिं मर्कट भट समुदाई. अर्थात नल-नील ने सेतु बांधकर उसे बहुत मजबूत बनाया, सेतु निर्माण देख कृपानिधान श्रीराम खुश हुए और योद्धा वानर गरजते हुए लंका की ओर कूच कर दिये. यह समाचार जब लंका का दूत रावण को बताता है तो वह अपने मंत्रियों से विचार विमर्श करता है, तभी वहां विभीषण पहुंचते हैं और रावण को समझाते हैं कि श्रीराम से बैर लेना ठीक नहीं है, जिसके बाद रावण उन्हें राज्य से बाहर निकाल देता है और विभीषण राम की शरण में चले जाते हैं.