नीमच। प्रदेश सरकार गौवंश को बचाने के लिए जोर दे रही है. नई-नई गौशालाएं खोली जा रही है. इसके लिए जमीन भी उपलब्ध करवाई जा रही है. वहीं जिले में उन्हीं के नुमाइंदे गौशाला को बेदखल करने का आदेश निकाल रहे है. प्रदेश की सबसे आर्दश गौशाला के रूप में पहचान बनाने वाली महावारी गौशाल को हटाने के पीछे गौसेवक स्वामी शरण नंदन का कहना है कि प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा को हाईवे पर स्थापित ये गौशाला पसंद नहीं आई हैं. उनका मानना हैं कि हाईवे पर गौशाला होने से दुर्घटना होती हैं.
मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा का नाम सामने आने के बाद उनके चहते नेता नाकुश दिखाई दे रहे है. वहीं काग्रेंस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत ने मंत्री सकलेचा पर निशाना साधते हुए कह कि केवल राजनीतिक लाभ के लिए ये गौमाता और राम का नाम लेते हैं. असल में इन्हे गौ-पालन से कोई मतलब नहीं हैं. कांग्रेंस की सरकार जब थी, तब हमारे द्वारा प्रदेश में 1000 गौशालाएं संचालित की गई थी.
30 बीघा जमीन पर करोड़ों की गौशाला
दरसअल, मध्यप्रदेश-राजस्थान की सीमा के पास बनी सांवलिया महावीर गौशाला को हटाने का नोटिस तहसीलदार द्वारा दिया गया, जिसके बाद गौ-रक्षकों ओर हिंदू संगठनों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है. बॉर्डर के पास परिवहन विभाग की करीब 30 बीघा जमीन है, जिसमें से 15 से 20 बीघा पर करोड़ों रुपए की लागत से गौशाला बनी हुई है. बाकी जगह पर स्कूल संचालित हो रहा है.
गौशाला को हटाने का अल्टीमेटम सन् 2006 में इस गौशाला की स्थापना हुई थी. तब से लेकर आज तक यह गौशाला आदर्श गौशाला के रूप में संचालित होती आ रही है. यह 700 गायों की क्षमता वाली गौशाला है. वर्तमान में 400 पशु यहां पर मौजूद है.
इस गौशाला का उद्देश्य गौवंश को बचाना है, क्योंकि यह गौशाला मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर है, जहां से कंटेनर में क्रूरतापूर्वक पशुओं को भरकर महाराष्ट्र की ओर कत्लखाने में ले जाया जाता है, लेकिन यह गौशाला चेक पोस्ट के पास है. इसके चलते आसानी से पुलिस द्वारा कार्रवाई की जाती है. पशुकों को मुक्त करवाने के बाद उन्हें नयागांव, सांवलिया और महावीर गौशाला में छोड़ दिया जाता है.
7 दिनों में अतिक्रमण हटाने का अल्टीमेटम
इस गौशाला को तात्कालिन मंत्री भूपेन्द्र सिंह द्वारा स्थापित करवाया गया था. इससे पहले यहां आरटीओं का ऑफिस था, मगर आरटीओं ऑफिस को अन्य जगह पर स्थापित कर दिया गया. इसमें मध्य प्रदेश सहित राजस्थान के लोग दान करते हैं, लेकिन तहसीलदार द्वारा गौशाला अध्यक्ष को नोटिस थमाते हुए 7 दिन में अतिक्रमण हटाने का अल्टीमेटम दे दिया गया, जिसके बाद गौ-रक्षक और हिंदू संगठनों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है. गौशाला से जुड़े लोगों का कहना है कि यह बेशक कीमती जमीन है. इसके भाव अब करोड़ों रुपए में हो गए हैं. इस पर नेताओं की नजर है. इसलिए अब राजनीतिक हस्तक्षेप होने लग गया है.
कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा पर आरोप है कि वह इस गौशाला को हटाकर यहां पर उद्योग स्थापित करना चाहते हैं, लेकिन गौ-सेवक इससे नाखुश दिखाई दे रहे हैं.
वहीं कलेक्टर जितेंद्र सिंह का कहना है कि तहसीलदार द्वारा नोटिस देकर जवाब मांगा गया है. उसमें जमीन आवंटन के कुछ ईशुज है.